
मोदी और बाकी राजनेताओं मे एक एक आधारभूत अन्तर है,और यही अन्तर उन्हे बाकी लोगो से अलग करता है, वो ये है कि मोदी गुजरात मे अपने द्वारा पिछले 10 सालों में किए गए कार्यों और उनके सफल अनुभवों के आधार पर बोलते हैं। जहां काँग्रेस के युवराज अपने खुद की सरकार की विफलताओं की बात ऐसे करते हैं जैसे उनका उन विफलताओं से कुछ लेना देना ही नही, मोदी खुल कर गुजरात मे सफल हुये उनके प्रयासों और प्रयोगों की बात करते हैं।इसके साथ ही साथ वो हमेशा नए सुझावों और अपनी खुद की कमियो को उजागर करने के लिए लोगो को आमंत्रित करते हैं।यही बात उन्हे बाकी के नेताओं से अलग करती है। उनके भाषण की कला मे व्यंग्य, उपहास और हंसी मज़ाक तो होता ही है, साथ ही साथ वो एक बेहतर और समृद्ध भारत के निर्माण के लिए एक दिशा निर्देश भी देते हैं। जबकि कांग्रेस के युवराज सिर्फ "हम ये करेंगे और हम ये कर सकते हैं" तक ही सीमित हैं। देश मे पिछले 65 साल मे कांग्रेस के लगभग 50 से ज्यादा सालों तक देश पर कांग्रेस ने राज किया और उस मे भी गांधी परिवार का योगदान सबसे ज्यादा था, उन सालों मे इनके द्वारा किए गए गलतियों को सुधारने को ही ये 'रेफ़ोर्म्स' कहते हैं, इसी बात से इनकी मानसिक और बौद्धिक स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है। खैर आज इस ब्लॉग मे मैं मोदी जी की ही बात करूंगा इसलिए इस विषय मे ज्यादा नहीं जाते हैं।मोदी अपने 10 से ज्यादा सालों के मुख्यमंत्री के सफर मे किए गए अपने कार्यों का पूरा ब्यौरा अपने भाषणो के द्वारा देते रहे हैं।
फिक्की की महिला विंग मे दिये गए अपने भाषण मे मोदी जी ने महिला सशक्तिकरण की खूब वकालत की। उन्होने साफ कहा की एक आधुनिक हिंदुस्तान की परिकल्पना बिना नारी सशक्तिकरण के नहीं की जा सकती है। उन्होने कन्या भ्रूण हत्या और इससे पैदा होने वाले लिंग अनुपात मे अंतर की भी बात की और कहा कि ये बहुत ही संवेदनशील विषय है और जल्द ही इस पर अगर कार्यवाही नहीं कि गई तो ये भयानक अवस्था मे पहुच सकता है।उन्होने गुजरात कि महिलाओ द्वारा शुरू किए गए लिज्जत पापड़ की सफलता की दास्तान बयान करते हुये बताया कि कैसे एक छोटे से महिलाओ के समूह ने इतना सशक्त ब्रांड बाज़ार को दिया। अमूल की सफलता मे भी महिलाओं के योगदान कि उन्होने भरपूर सराहना की। बातों बातों मे ही उन्होने अहमदाबाद के जस्सुबेन का पिज्जा के सफलता की दास्तान भी बताई कि कैसे एक छोटे से प्रयास से आज ये पिज्जा आउटलेट बड़े बड़े विदेशी पिज्जा आउटलेट को कड़ी टक्कर दे रहा है। प्रैस और मीडिया पर चुटकी लेते हुये उन्होने कहा कि अब मीडिया वाले जा कर देखेंगे कि कि मोदी सच कह रहा है या ये भी 'कलावती' की ही तरह एक मनगढ़ंत कहानी है। मोदी अपने भाषणों मे अक्सर ही अपने विरोधियों और मीडिया की चुटकी लेते नज़र आते हैं।भाषण के अंत मे उन्होने ये भी कहा की अभी तक तो वो कांग्रेस द्वारा किए गए गड्ढों को भरने का ही काम कर रहे हैं और आगे अभी बहुत काम करना बाकी है। इससे उनके विकास के कार्यों को करने की लालसा साफ प्रतीत होती है।
नेटवर्क 18 द्वारा संचालित थिंक इंडिया कैम्पेन मे मोदी जी ने "Less Government and more Governance" मुद्दे पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होने कहा की वो हमेशा से ही एक संतुलित सरकार के पक्षधर हैं। उन्होने कहा कि सुशाशन से ही सुराज्य की प्राप्ति की जा सकती है।उन्होने बताया कि हमारे देश मे सरकार मे आना ही पार्टियों और नेताओं कि सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है, जिससे सरकार कि कार्यक्षमता पर काफी असर पड़ता है। वो बोले कि आज जनता मे सरकार के प्रति अविश्वास कि भावना प्रकट हो रही है क्योंकि केंद्र सरकार ने विकास के कार्यों पर ब्रेक सा लगा रखा है, इस बात पर चिंता प्रकट करते हुये वे बोले कि ये स्थिति बहुत ही भयवाह है और जनता मे सरकार के प्रति विश्वास पुनः पैदा करना पड़ेगा। 'मेरा क्या' और 'मुझे क्या' कि व्याख्या करते हुये वे बोले कि कैसे इस मानसिकता से छुटकारा पाये बिना विकसित और संतुलित भारत कि परिकल्पना करना मुश्किल है। लेकिन सरकारी तंत्र मे जनता कि भागीदारी कि आवश्यकता गिनाते हुये उन्होने ये भी बताया कि जनता को भी सरकार को अपने तरफ से सहयोग देना होगा तभी विकास की योजनाओ को अमल मे लाया जा सकता है। विभिन्न उदाहरण के द्वारा उन्होने बताया कि कैसे जनता सरकारी वस्तुओं के उपयोग और अपने निजी वस्तुओं के उपयोग मे भेद भाव करती है और सरकारी संपति को नुकसान पहुंचाती है, जो अंततः उसी का खुद का नुकसान है।उन्होने इस मानसिकता से भी ऊपर उठने की वकालत की। सरकारी योजनाओ मे तकनीक की भरपूर इस्तेमाल की वकालत करने वाले मोदी जी ने बताया कि कैसे तकनीक के बेहतर इस्तेमाल और बेहतर प्रबंधन से गुजरात मे उन्होने विकास का एक सफल मोडल खड़ा किया है। मोदी जी ने सत्ता के विकेन्द्रीकरण की भी बात की और बताया कि कैसे इसके द्वारा विकास कि नई ऊंचाइयों को पाया जा सकता है। विकास की राह मे केंद्र और राज्यों के बीच के संबद्धों की बात भी उन्होने की और बताया की कैसे कांग्रेस की नेतृत्व की केंद्र सरकार, गैर कांग्रेसी राज्य सरकारों को परेशान करने मे आगे रहती है। वे बोले कि केंद्र सरकार को सिर्फ इसी कारण से, कि राज्यों मे उसके पार्टी की सरकार नहीं है, राज्यों को दिये जाने वाले सहयोग मे भेदभाव नहीं करना चाहिए।
मोदी जी हमेशा ही भारत के युवाओं की बात करते हैं। युवशक्ति और इसका देश के विकास मे योगदान की पैरवी करने वाले मोदी जी ने कहा की आज देश मे 65 % लोग युवा हैं और हमे इन युवाओं के दम पर ही देश को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। बिना युवाओं के सहयोग के इसकी परिकल्पना करना संभव नहीं है। उन्होने युवाओं के कार्य कौशलता को बढ़ाने के लिए ज़ोर दिया और इसके लिए सरकार को ज़ोर देना चाइए इसकी भी पुरजोर वकालत की। ऊर्जा की दिक्कतों के लिए भी कैसे वैकल्पिक और सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है, इसके बार मे भी उन्होने विस्तार से बताया। साथ ही साथ पर्यटन क्षेत्र का भी देश और प्रदेश के विकास मे योगदान की उन्होने बात की। अपने विभिन्न भाषणों मे वे हमेशा ही देश के विकास के सम्पूर्ण पहलुओं का विश्लेषण करते रहे हैं और अपने भाषणो के द्वारा दूरदृश्यता का भी परिचय उन्होने हमेशा ही दिया है। उनके अंदर देश को नेतृत्व देने की योग्यता है और ये उन्होने गुजरात मे अपने पिछले 11 सालों के कार्यकाल मे साबित भी किया है।