Friday, February 13, 2015

बनारस टॉकीज - बूक रिव्यू (पुस्तक समीक्षा)



बनारस टॉकीज , जैसा की नाम से प्रतीत होता है, ये बनारस की फिल्मी कहानी ही है। ये शुरू होती है हल्के फुल्के माहौल के साथ और तमाम उतार चढ़ाव से होते हुये एक सुखद अंत की तरफ बढ़ते जाती है। कहानी 3 दोस्तों की है , जिनकी पहली मुलाक़ात से लेकर किताब के अंतिम पन्ने तक की कहानी इन्ही तीनों के इर्द गिर्द घूमती रहती है। कहानी मे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विधि संकाय के पात्रों के माध्यम से विश्वविद्यालय का बड़ा ही सुंदर वर्णन किया गया है। जिस तरह छात्रावास के भीतर की मौज मस्ती , षड्यंत्र और राजनीति के बीच मे लेखक द्वारा पिरोई गई है वो लेखक की लेखन कला की विशेषता ही है। एक काफी मज़ेदार कहानी जो आपको शुरू से अंत तक किताब के पन्नों से बांधे रहेगी। और एक बार जो आपने शुरुआत कर दी, फिर तो पुस्तक खत्म करने के पहले रूक पाना संभव बिलकुल भी नहीं है। लेखक सत्य व्यास,जो की विधि संकाय के मेरे अग्रज हैं, उन्हे ढेरों शुभकामनायें। भविष्य मे ऐसी ही कृति की आस अवश्य रहेगी।

पुस्तक का नाम - बनारस टॉकीज
लेखक - सत्य व्यास
शैली-  काल्पनिक ( फिक्शन)
प्रकाशक - हिन्द-युग्म , 1, जिया सराय, हौज खास , नई दिल्ली - 100032
प्रथम संस्करण - 2015