Saturday, February 8, 2014

भ्रष्टाचार और अरविंद केजरीवाल

पिछले कुछ सालों से भारतवर्ष मे स्वयं स्थापित एकलौते सच्चे व्यक्ति श्री अरविंद केजरीवाल ने स्वयं और अपनी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओ के अलावा अन्य सभी लोगो को झूठा , भ्रष्टाचारी और बेईमान घोषित कर रखा है। जो भी व्यक्ति इनके बातों से सहमत वो ईमानदार अन्यथा उसे बेईमान घोषित कर दिया जाता है। भ्रष्टाचार की परिभाषा इनके स्वयं के द्वारा स्थापित की गई है और समय समय पर अपनी ज़रूरत के हिसाब से उसमे आवश्यक परिवर्तन के द्वारा भ्रष्टाचार की परिभाषा बदल दी जाती है। फलसफा ये कि ईमानदारी का प्रमाणपत्र देने की संस्था स्वयंभू ईमानदार श्री अरविंद केजरीवाल ही हैं। जो इनसे तकल्लुफ रखे उसे ही ये ईमानदार घोषित करते हैं अन्यथा झूठा और बेईमान घोषित करने मे ज्यादा समय नहीं लगाते।
लेकिन मेरा मानना है की भ्रष्टाचार का मतलब सिर्फ रुपये पैसे का भ्रष्टाचार ही नहीं , वरन चरित्र का, जिम्मेदारियों का और व्यवहार का गलत आचरण भी भ्रष्टाचार की परिधि मे आता है। श्री केजरीवाल ने खुद को और अपनी पार्टी नेताओ को तथा इनसे जुड़े लोगो को ईमानदार किन तथ्यों के आधार पर घोषित कर रखा है ये सिर्फ इन्हे ही पता है। श्री केजरीवाल वो पारस पत्थर हैं जिनके संसर्ग मे आते ही भ्रस्टाचार रूपी कोयला भी ईमानदारी रूपी सोना मे बदल जाता है।
कुछ आवश्यक बाते हैं जिनकी तरफ मैं ध्यान आकर्षित करना चाहता हु। श्री केजरीवाल और इनकी पत्नी अपने राजस्व सेवा के कार्यकाल मे शायद ही कभी दिल्ली के कार्य क्षेत्र से बाहर रहे हैं। क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है? श्री केजरीवाल के समर्थक कहते हैं इन्होने राजस्व सेवा मे रहते हुये कभी काला धन नहीं कमाया, अगर चाहते तो करोड़ो कमा लेते। चलो मान लेते हैं , परंतु इनहोने कितने नेताओ और व्यापारियों के काले धन को जब्त किया? अगर कुछ कमाया नहीं तो देश के राजस्व मे कुछ योगदान भी नहीं दिया। क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है? अपने सरकार के विधि मंत्री के कुकृत्य का इनहोने जम कर बचाव किया और उनके कृत्यों को सही भी ठहराते रहे। क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है? श्री केजरीवाल की पत्नी सरकारी सेवा मे रहते हुये केजरीवाल जी की धरणा प्रदर्शन मे हिस्सा लेती हैं।एक सरकारी अफसर का नौकरी मे रहते हुये किसी राजनीतिक मंच को साझा करना, क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है? श्री केजरीवाल की किताब स्वराज के ऊपर अजयपाल नागर नाम के शिक्षक ने किताब का संदर्भ चुराने का इल्जाम लगाया है। क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है? परंतु श्री केजरीवाल तो स्वघोषित ईमानदार हैं, ईमानदारी की स्वघोषित परिभाषा मे ये फिट बैठते हैं। इसलिए ये जो कहे वो ही सच और बाकी सब झूठ। लेकिन ये सोचने का विषय है। अंध भक्ति मे इंसान सोचने समझने की क्षमता खो बैठता है और ये ही केजरीवाल जी के अंध भक्तों का हाल है।लेकिन उम्मीद करता हु कि आँख के ऊपर कि पट्टी हटेगी और सच्चाई देख और समझ पाएंगे केजरिभक्त।


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