Wednesday, August 6, 2014

भारत के शीर्ष कार्टूनिस्ट , कार्टूनिस्ट प्राण को एक श्रद्धांजलि ।

मशहूर कार्टूनिस्ट प्राण साहब को न जाने ऐसा शायद ही कोई होगा मेरी पीढ़ी या उसके पहले की पीढ़ी मे। हमारा तो पूरा बचपन ही प्राण साहब की रचनाओं के बीच गुजरा है। जितनी उत्सुकता चाचा चौधरी, साबू जैसे चरित्रों ने पैदा की उतनी शायद ही उन दिनों मे किसी और चीज़ को देख या सुन कर होती रही होगी। आज प्राण साहब हमारे बीच नहीं रहे तो बरबस ही बचपन के दिनो की एक घटना मेरे दिमाग मे कौंध गई। इसी घटना का वृतांत सुनाकर मैं प्राण साहब को अपनी तरफ से श्रद्धांजलि प्रस्तुत करना चाहता हूँ। अब ये प्रयास सफल रहती है या विफल ये आप लोग स्वयं निश्चित करें।

बात तब की है जब मैं तकरीबन 8 या 9 साल का था। स्कूल से लौटने के बाद काफी समय चाचा चौधरी, साबू, बिल्लू इनके हीं बीच गुजरता था। एक दिन ऐसे ही एक दोपहर मे चाचा चौधरी की कॉमिक्स मे पढ़ा की जब साबू को गुस्सा आता है तो कहीं ज्वालामुखी फटता है। मैंने पढ़ा तो कई बार था इस लाइन को लेकिन उस दिन काफी उत्सुकता हुई ये जानने की आखिर ये ज्वालामुझी फटता कहाँ हैं। बाल मन परेशान था की किससे पूछूं ये रहस्य की ज्वालामुखी कहाँ फटता है? फिर क्या था पापा के ऑफिस से वापस आने का इंतज़ार करने लगा और जैसे ही पापा दिखे दौड़ कर उनके पास गया और उन पर सवाल दाग दिया की जब साबू को गुस्सा आता है तो ज्वालामुखी कहाँ फटता है? पापा ने भी 1 सेकंड के लिए सोचा की ये सवाल एकाएक कहाँ से दाग दिया गया उनके ऊपर और फिर उन्होने एक झन्नाटेदार थप्पड़ मेरे गाल पर जड़ दिया। मुझे पता चल चुका था की ज्वालामुखी कहाँ फटता है। उम्मीद है आप भी समझ गए होंगे।


चित्र- साभार श्री मनोज कुरील

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