Monday, September 25, 2017

क्या सच में है #UnsafeBHU ?

एक हफ्ते से बनारस हिन्दू विश्विद्यालय यानि की हमारा BHU का नाम काफी सुर्ख़ियों में  रहा है। "सर्वविद्या की राजधानी" और "महामना की बगिया" सरोखे विशेषणों से जाना जाने वाला BHU का कुछ गलत कारणों से प्रचारित होना मेरे जैसे पूर्व छात्र के लिए ह्रदय विदारक और मर्मस्पर्शी रहा। जिस विश्वविद्यालय के प्रांगण में जीवन  के स्वर्णिम ३ साल गुज़ारने  मौका मिला , जहाँ ३ सालों में जिंदगी के अधिकतर आयामों को समझने और जीने  का मौका मिला, उसके बारे में मीडिया में ऐसी बातें सुनने, पढ़ने और देखने को मिली की मन व्यथित हो गया।
कुछ लड़के एक लड़की को छात्रावास के ओर जाते वक़्त छेड़ते हैं  और जब वो लड़की विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मियों से इसकी शिकायत करती है तो वो उसमें टालमटोल का रवैया अपनाते हुए चुप रहने का दबाव बनाते हैं। जब विश्वविद्यालय प्रशासन से इस बारे में शिकायत की जाती है तो विश्वविद्यालय प्रशाशन भी सारे घटनाक्रम पर मौन धारण कर के छात्राओं के आक्रोश को बढ़ने देता है।  यहाँ तक की कुलपति भी प्रशासनिक कार्यों में इतना व्यस्त थे की छात्राओं  की बात सुनने की जहमत नहीं उठाई।  कुलपति होने के नाते आप विश्वविद्यालय के समस्त समस्त छात्र छात्राओं के अभिभावक हैं , यदि आप अपने छात्र छात्राओं से मिल कर उनकी समस्याएं सुनकर उसके समाधान की व्यवस्था नही करेंगे तो कौन करेगा ? यह पद आपको लाल बत्ती चमका के सुरक्षाकर्मियों के बीच घूमते हुए जूते चप्पल के शोरूम के उदघाटन करने के लिए नहीं मिला है महाशय , कृपया अपने नियुक्ति पत्र पर उल्लेखित कुलपति से अपेक्षित कार्यों का अध्ययन करने की जहमत उठाने का कष्ट करें। आपके प्रशासनिक अक्षमता ने पिछले २ सालों में विश्वविद्यालय को कई दफा जलने पर मजबूर किया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन के गैरजिम्मेदारी पूर्ण रवैये ने एजेंडा पत्रकारिता और बाहर से आये वामपंथी संगठनों को , जो  पिछले ३ सालों से BHU में अपना एजेंडा लागू करने  लालायित हैं, उनको बिल से बाहर आकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन में शामिल हो कर  घटनाक्रम को राजनैतिक रंग देना शुरू कर दिया।  राहुल गाँधी के NSUI के कांग्रेसी , आपियों और वामियों ने इस पुरे घटनाक्रम को नरेंद्र मोदी विरोध का एक मंच बनाकर इस छात्र प्रदर्शन को राजनितिक महत्वाकांक्षा की बलि चढ़ने पर मजबूर कर दिया। देश के विभिन्न भागों से #UnsafeBHU सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर ट्रेंड कराया जाने लगा जिसमे युथ कांग्रेस और AAP के IT Cell ने वामियों का साथ दे कर अपने मीडिया के मित्रों के सहयोग से इसे नेशनल मीडिया तक में BHU के बारे में दुष्प्रचार किया। जिन हॉस्टलों के छात्र ज्यादातर लड़की छेड़ने और राह चलते उन पर फब्तियां कसने के लिए मशहूर हैं, उन्ही छात्रों को प्रदर्शन का मंच दिया गया और उन्होंने इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और इसे हिंसक रूप देने में इनका पूर्ण सहयोग रहा। इस पुरे घटनाक्रम में छात्राओं ने जो सुरक्षा का मुद्दा उठाया था वो असली मुद्दा तो धूमिल ही हो गया और कुछ अतिमहत्वाकांक्षी संगठनों और लोगो की राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं की बलि चढ़ गया। पूरा मुद्दा ही भटकाकर इन लोगों ने काफी हद तक अपने इरादों में सफलता भी पा ली।
 एक मित्र ने साल 2015 में बातों बातों में ये आशंका जताई थी की मोदी जी के बनारस सांसद होने के वजह से सारे विपक्षी दलों का फोकस काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को अशांत बनाकर राष्ट्रीय पटल पर इसका दुष्प्रचार करने में जोर रहने की पूरी उम्मीद है और आज उनकी आशंका सही भी होती दिखाई दे रही है।  2014 के चुनावों के समय लाल सलाम के वामियों, टोपी धारी आपियों और कांगियों को कैंपस के छात्रों का बराबर विरोध झेलना पड़ा था , उसी समय से इन्होने BHU को अपने एजेंडा का हिस्सा बनाया और तब से लगातार कुछ ख़ास मीडिया हाउस के पत्रकारों ने समय समय पर BHU के बारे में अनर्गल प्रचार करना शुरू किया।
फेसबुक पर कुछ पूर्व छात्रों ने जिनका झुकाव वामपंथ के तरफ रहा है उन्होंने भी इस पुरे घटनाक्रम का गलत चित्रण और दुष्प्रचार  शुरू दिया और #UnsafeBHU को को लेकर धड़ाधड़ कई पोस्ट किये गए। इनमे से एक  हैं जो अपने छात्र जीवन में संस्थान की लाइब्रेरी में अपने से जूनियर एक छात्रा के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे वो भी झंडा उठाये हुए हैं,  एक हैं जो अपने महिला मित्र के साथ मधुबन में बिताये अपने नितांत ही एकांत पलों के बारे में हॉस्टल में अपने किस्सों को बड़े ही उत्साह और गर्व की अनुभूति के साथ बताते थे , एक महाशय ने तो हॉस्टल के महाराज के सहयोग से महिला छात्रावास में अपने प्रवेश का चित्रण अपनी किताब में भी  किया है, वो भी विश्वविद्यालय के असुरक्षित होने का प्रचार जोर शोर से कर रहे हैं। एक कामरेड हैं जो आज कल मुंबई में हैं उन्होंने तो आग लगाने की जल्दबाज़ी में BHU  के अलावा पुरे देश से फ़र्ज़ी फोटो लगा लगा कर पोस्ट्स की बाढ़ लगा दी।
इन पूर्व छात्रों से मेरा निवेदन है की समस्या के समाधान की तरफ अगर अपना कुछ सहयोग कर सकते हैं तो अवश्य करें, लेकिन कुछ लोगों के प्रभाव में आ कर अपने ही संस्थान की छवि धूमिल करने का प्रयास न करें।हर संस्थान के तरह BHU में भी कुछ समस्याएं हैं और  समस्याओं का समाधान संवाद के जरिये ही मुमकिन है।  काशी हिन्दू विश्वविद्यालय आपका अपना परिवार है , क्या अपने परिवार की समस्याओं के समाधान के लिए आप बाहरी लोगों के पास जाते हैं या उसका सार्वजानिक रूप से उपहास करते हैं ? नहीं, आप मिल बैठ कर समस्या की जड़ तक जाने का प्रयत्न करते हैं और उसके समाधान की व्यवस्था करते है। चंद घटनाओं से पूरा संस्थान असुरक्षित नहीं हो जाता , जो भी घटनाएं हुई हैं उनका विरोध करने के साथ साथ उसके समाधान पर भी ध्यान देना चाहिए और इन अनैतिक घटनाओं को अंजाम भी तो कुछ वर्तमान छात्र ही दे रहे हैं।
जिन लाल सलाम वाले लोगों के बहकावे में आकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रों ने अपने ही संस्थान में आग लगा दिया हैं उन लाल कच्छाधारी कामरेडों के कुकृत्य भी देखिये और नारी के प्रति इनके मन में कितना सम्मान है ये भी समझने की कोशिश कीजिये और फ़र्ज़ी  'चे ग्वेरा ऐटिट्यूड' से उपर उठिये।


चूंकि इस महान संस्थान का नाम बनारस "हिन्दू" विश्विद्यालय है, इसलिए वामियों और कांगियों ने अपने मीडिया के साथियों के साथ मिलकर इस ऐतिहासिक संस्थान की छवि को धूमिल करने की साज़िश रची और काफी हद तक वो इसमे सफल भी हुए हैं। अपनी एजेंडा आधारित पत्रकारिता के कारण मशहूर चैनेल ने भरपूर कोशिश की और वो भी काफी हद तक सफल भी हुआ। और इस तरह छात्र हित के मुद्दों से जुड़ा एक आंदोलन कुछ लोगों और और संगठनों की राजनीतिक अतिमहत्वाकांक्षाओं की बलि चढ़ कर गलत दिशा में चला गया। विश्वविद्यालय के वर्तमान छात्र छात्राओं से निवेदन है की ऐसे मुद्दों को स्वयं हल करने की कोशिश करें और बाहरी राजनैतिक संगठनों के हाथों की कठपुतली न बनकर परिवार के सदस्य के रूप में व्यवहार करें।
पूर्व छात्रों को तो #UnsafeBHU जैसे ट्रेंड्स का अंधसमर्थन करने के बजाय एक बड़े भाई के तौर पे #How to Make BHU Safe again ?" पर संवाद कर समस्या का समाधान पर अपने बहुमूल्य विचार प्रस्तुत करके परिवार के अग्रज सदस्य होने की भूमिका  निर्वहन करना चाहिए था।  


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