Wednesday, March 31, 2010

एक अनोखी कविता ...छात्रो का दुःख दर्द


नए हॉस्टल  मे  जाने  की  कर लो  अब  तैयारी 
मस्ती लुटने  की रिटेलर्स  की  आयी  है  बारी 
बहुत  किया  सम्मान  , सुबह  से  हो  गयी  शाम 
नए  हॉस्टल   के  कैम्पस  मे  खेलो  खेल  तमाम 
मीटिंग  हुआ , कांफेरेंस  हुआ  , लेकिन  वहां  जाना  है  फिक्स 
सेकण्ड इयर  रिटेल   के  साथ  होगा   फर्स्ट  इयर  भी   मिक्स 
जून  के  प्रथम  सप्ताह  मे  होगा  वहां  प्रवेश 
किसी  भी  जुनी  से  करना  मत  वहां   पर  लेकिन  कलेश 
चलो  बहुत  हुई  भविष्य  की  गुफ्तगू 
कुछ  वर्तमान  की  ब़ाते  भी  करते  मैं  और  तू 
वर्तमान  का  तो  ऐसा  चल  रहा  है  सीन 
हर  दिन  ही  होता  है  कोई  नया  पेपर  संगीन 
पढने  की  आदत  अब  हमें  रही  नहीं 
पेपर  देख  के  लगता  है  रात  मे  क्यूँ  पढ़े  नहीं 
चलो  सभी  गुज़र चुके  पेपर्स   की  बात  करते  हैं 
जो  उम्मीदे  टूट  गयी  हैं   उन्हें  फिर  से  याद  करते  हैं 
पहला  पेपर  था  हमारा , कार्पोरेट  फिनांस 
इसे  पढने  से  अच्छा   है  किसी  के  साथ  कर लो  रोमांस 
रोमांस  मे  तो  फिर  भी  कुछ  खट्टी  कुछ  मीठी  बाटे  होती  हैं ,
फिनांस  के  चक्कर  मे  सिर्फ  आँखे  रात  भर  नहीं  सोती  हैं 
हमने  देखा  है  लोगो  को  रात  भर  अपना  घिसते  हुए 
सलाईड्स  और  बुक्स  के  चक्कर  मे  अपनी  जवानी  पिसते  हुए 
फिनांस के  बाद  आया  इन्वेंटरी  का  वो  जाल ,
ई. ओ. क्यु.  के  चक्कर  मे  कितने  रिटेल स्टोर्स  हुए  कंगाल 
कितना  आर्डर  करना  है  , कितनी  बार  आर्डर  मंगवाना  है 
इन  पचड़ों  मे  पड़ कर  मुझे  नहीं  जान  गवाना  है 
इन्वेंटरी  के बाद  हमे  मिला  दो  दिन  का  आराम 
सोचा  सबने  ठीक  है  करते  है  कुछ  और  काम 
दो  दिन  की  छुट्टी  मे  सबने  खूब उडाई  मौज 
दारू  पीने  चल  पड़ी  दारुबाजों   की  फ़ौज
दारू  का  जो  उतरा  नशा  तो  पढ़ाई  की  याद  आयी 
कुछ  पढ़ाकुओं  ने  फिर  शुरू  करी  पढ़ाई 
मॉल  मैनेजमेंट  का  पेपर  दे  कर  कुछ  सुकून  आया 
पढ़  कर  तो  गए  थे  नहीं  लेकिन  अपना  दिमाग  खूब  भिड़ाया 
लेकिन  फिर  जब  ओपरेसन  रेसेर्च  की  बारी  आयी 
इस  साल  मे  पहली  बार  मैंने  भी  किताब  उठाई 
ट्रांसपोर्टेसन  और  सिम्प्लेक्स  के एक  दो  सवाल  बनाये 
पेपर  देखने  के  बाद  लेकिन  एक्वेअसन  भी  बना  ना  पाए 
कुछ  ने  2   कुछ  ने  3 कुछ  ने  4 एक्वेसन  बनाये 
हम  जैसे  पढ़ाकू  तो  केस  स्टडी   तक  पहुच  भी  ना पाए 
फिर  जब  आयी  रुरल  रिटेलिंग  की  बारी 
69 सलाईड्स  पढ़  कर  सभी  ने  की  तैयारी 
पेपर  देख  कर  सब के   चेहरे  पर  खिली  मुस्कान 
सबने  ऐंसर   शीट  से  खूब  करी  खीच  तान 
5 पेपर  तो  बीते  किसी  तरह  , लेकिन  बाकी  हैं  अब  भी  तीन 
अगर  इनमे  पढ़  कर  नहीं  गए  तो  सीन  हो  जायेगा  संगीन 
अगर  इनमे  भी  पढ़  कर  नहीं  गए  तो  सीन हो  जायेगा  संगीन 

Thursday, March 25, 2010

मुझे इस कोरपोरेट फिनांस से बचाओ......

अभी पिछले ट्रेमेस्टर के रिजल्ट का दुःख ख़त्म भी नहीं हुआ था की तीसरे ट्रेमेस्टर के एग्जाम भी आ गए , और शुरुआत भी किस पेपर से , कोरपोरेट फिनांस से .. l ये ऐसा पेपर है जिसने हॉस्टल मे सारे लड़कों की नींद उड़ा रखी है , और ये तो पहला पेपर है , ना जाने आगे के पपेर्स मे क्या होने वाला है l पिछले एग्जाम मे भी मैंने और मुझ जैसे कुछ पढ़ाकू लड़कों ने ये प्रण लिया था की चलो इस बार जो हुआ सो हुआ लेकिन अगले ट्रेमेस्टर मे हम जरूर पढेंगे , लेकिन जैसे जैसे एग्जाम बीतते गए हमने उस प्रण को भी ताक पर रख दिया और जम कर बकैती काटी, और अब जब एग्जाम कल से शुरू हो रहे हैं तो फिर सोच रहे हैं की चलो इस ट्रेमेस्टर मे जो हुआ सो हुआ अगले ट्रेमेस्टर मे तो पढ़ कर ही रहेंगे l ये सिलसिला आखिरकार  कब तक चलेगा l हम कब पढना शुरू करेंगे l कल कल कर के तो तीन ट्रेमेस्टर बीता दिए हमने l अरे हम मुद्दे से फिसल गए , बात करनी थी कल के पेपर की और हम तो दूसरी तरफ चले गए थे l 
चलो बताते हैं कल के पेपर के बारे मे जो की कोरपोरेट फिनांस का पेपर है और जिसने सारे लड़कों की नींद उड़ा रखी है , लड़के  दो तीन दिनों से बुक और लैपि ले कर पढ़े जा रहे हैं , वैसे तो कोशिश मैंने भी करी थी , लेकिन दिमाग मे कुछ खास गया नहीं तो सोचा बिना मतलब दिमाग पर जोर डालने मे कोई फायदा तो है नहीं तो फिर क्यों समय व्यर्थ करें तो फिर हमने ये निश्चय किया की चलो जो होगा देखा जायेगा और किताब को दूर रख दिया l  वैसे मेरी उम्मीद के मुताबिक कम से कम दस लड़के तो होंगे ही जिन्हें कोरपोरेट फिनांस का "ऍफ़" तक नहीं आता होगा और दस ऐसे होंगे जिनसे "ऍफ़" के अलावा कुछ नहीं आता होगा , तो इसी बात को मद्देनज़र रखते हुए मैंने ये डीसाईड किया  है की अब जो होगा कल देखा जायेगा ,कुछ ना कुछ तो कर के आ ही जायेंगे पेपर मे l  वैसे मुझे नींद भी बहुत आ रही है और एग्जाम के पहले नींद अच्छी लेनी चाहिए तो मैं तो चला सोने , जो बच्चे अभी भी किताबों मे दिमाग घिस रहे हैं उन्हें मेरी तरफ से ढेरों शुभकामनायें , और मैं चाहूँगा की वो भी मेरे लिए भग्गू से दुआ करे l तो इन्ही शब्दों के साथ इस पोस्ट को समाप्त करता हूँ , और उम्मीद करता हूँ की आप सभी पाठक अपने विशेष टिप्पणी से मेरे इस पोस्ट को ज़रूर सराहेंगे l 
शुभ रात्रि और पोस्ट पढने के लिए धन्यवाद .......

Saturday, March 13, 2010

आई. पी. एल. की आंधी जी. एन . हॉस्टल मे भी ....सट्टेबाजी का दौर शुरू .....

इस साल का मनोरंजन का बाप अपने साथ सट्टेबाजी का दौर ले कर आया है l जी हा सही पढ़ा आपने , मनोरंजन का बाप यानि की आई.पी.एल. के शुरू होते ही हॉस्टल के लड़कों मे अपनी अपनी टीम बना कर एंट्री करने की होड़ लग गयी है l  ये एंट्री जो पहले तीन लड़कों के बीच शुरू हुयी थी और जिसके शुरुआत मे ही इसके समाप्त हो जाने की भविष्यवाणी कुछ महान ज्योतिषों ने करी थी , आज उसी मे एंट्री करने के लिए लड़कों ने एक्स्ट्रा फीस देकर एंट्री करने की पेशकस करी l वैसे आज जब मैच शरू हुआ था तो हम सारे ओर्गेनायीजर्स को भी इस गेम के इतना पोपुलर हो जाने की उम्मीद नहीं थी , लेकिन जैसे जैसे मैच आगे बढ़ता गया खेल का रोमांच उसी तेजी से बढ़ता गया l आज के मैच के शुरू होते ही हॉस्टल के  हर कोरिडोर मे लडको की टोली टेलीविजन खोल कर मैच देखने मे लग गयी , हर रन और विकेट के साथ साथ लडको ने पूरी जोश के साथ अपनी उपस्थिति हल्ला कर कर के दर्ज कराई l ये तो अभी शुरुआत है मैच का दौर जैसे जैसे आगे बढेगा , लडको का उत्साह उतना ही आगे बढ़ते रहने की पूरी उम्मीद की जा रही है  l 
क्रीज पर बल्लेबाज रन बना रहे थे या बॉलर विकेट ले रहे थे तो हमारे कंप्यूटर स्क्रीन पर भी लडको के पॉइंट्स आगे बढ़ रहे थे , खैर मैच ख़त्म होने से पहले ही ये पता चाल चूका था की आज के सट्टेबाजी का विजेता अपना रघु राम होगा , और मैच के फ़ाइनल बॉल के साथ ही रघु राम को विजेता घोषित कर दिया गया l विजेता रघु राम को इनाम की राशी नीरज अगरवाल ने नगद १२० रुपये दिए , और रघु राम ने ख़ुशी ख़ुशी नगद इनाम की राशी लेते हुए तुरंत ही टक शौप की ओर प्रस्थान कर गए l 

अगले मैच के लिए बिड करने वालों की संख्या मे काफी बढ़त हुयी है , और उम्मीद है की ये संख्या निरंतर ही बढ़ते रहेगी और आयी. पी. एल . की आंधी मे पूरा हॉस्टल उड़ेगा  l इसी आंधी की उम्मीद मे इस पोस्ट को समाप्त करता हूँ और जल्दी ही नए पोस्ट के साथ वापस आने का वादा करता हूँ l 

धन्यवाद llll  

Friday, March 12, 2010

हॉस्टल मे एक स्वयंभू लव गुरु ..... एक नया अध्याय

जी हा सही पढ़ा आप सभी ने ....प्रथम वर्ष ख़त्म होते होते हॉस्टल मे आखिरकार उस लव गुरु की खोज पूरी हो ही गयी जिसकी तलाश पिछले काफी महीनो से हॉस्टल के जिज्ञासु एक तरफ़ा प्रेमियों को थी l चलो अच्छा है की अंततः एक ऐसा गुरु जिसकी तलाश सभी को थी वो मिला तो , लेकिन सोचने वाली बात ये है की इस लव गुरु को खोजा किसने l तो चलो ये भी बता देते हैं की उस लव गुरु ने स्वयं ही ये घोषित कर दिया की वो लव गुरु है , और इसलिए हमने उसे स्वयंभू लव गुरु के ख़िताब से नवाज़ा है l और ये लव गुरु अपने बारे मे बताते हैं की उन्होंने कई  प्रेम कहानियो को उसके फ़ाइनल अंजाम तक पहुचाया है l खैर जब लव  गुरु ने कहा है तो हम उनकी कही बात को संशय की दृष्टि से तो देख नहीं सकते , लेकिन सबसे बड़ी अचंभित करने वाली बात ये है की इन तथाकथित लव गुरु खुद की सेट्टिंग अभी तक नहीं हो पाई है l लव गुरु ने कई जगह चांस पे डांस मरने की कोशिश करी है लेकिन  अभी तक दाल गली नहीं है , उम्मीद है की दाल गल भी नहीं पायेगी और इन्हें कच्ची दाल से ही काम चलाना पड़ेगा ...
खैर अभी पिछले दिनों लव गुरु ने कॉलेज के गली गली और चप्पे चप्पे पर पी. जी. डी. एम . प्रथम वर्ष की एक कन्या  की  की - रिंग ढूंढ़ते हुए पाए गए थे , जब लोगो ने पूछा की आप क्या ढूंढ़ रहे हैं तो लव गुरु ने बड़े ही सफाई से कन्नी काटते हुए बताया की उनके 2 रुपये के  तीन सिक्के खो गए हैं और वो उसी को ढूंढने मे लगे हुए  हैं , लेकिन हमें तो सच्चाई पता थी तो हमने लव गुरु को बताया की हम भी वोही की रिंग खोज रहे हैं , चलिए साझेदारी से ढूंढ़ते हैं, तब जा कर लव गुरु ने क़ुबूल किया की हा वो की रिंग ही ढूंढ़ रहे थे l  खैर लव गुरु को की रिंग ढूंढने देते  हैं और हम आगे की ओर प्रस्थान करते हैं  और इस पोस्ट को यही पर समाप्त करते हैं , और अगर आपको भी अपने प्रेम प्रसंग को लेकर किसी गंभीर मुद्दे पर अगर कोई सलाह की आवश्यकता है तो हमारे स्वयंभू लव गुरु से सलाह लेने ज़रूर जाये, लेकिन अपने रिस्क पर ही .....


शुभ रात्रि ...