आदरणीय नितीश जी,
आम आदमी पार्टी के समर्थकों द्वारा ट्विटर पर ट्रेंड की गई आपकी प्रधानमंत्री जी के नाम चिट्ठी पढ़ी, आपने आपके DNA पर किए गए टिप्पणी को जिस तरह सम्पूर्ण बिहार के DNA से जोड़ कर ओछी राजनीति करने की कोशिश की है , आपसे वैसी ही राजनीति की उम्मीद थी। परंतु अपने DNA को बिहार के DNA से जोड़ने से पहले तनिक बिहार के स्वर्णिम इतिहास का तो ख्याल करते। किन्तु ऐसा प्रतीत होता है की आज कल आम आदमी पार्टी वालों से राजनीतिक आदान प्रदान कुछ ज्यादा ही होने के कारण आप ने चिट्ठी भी उनके ज्ञान से प्रभावीत हो कर ही लिख दी है।
महाशय जी बिहार की धरती का स्वर्णिम इतिहास आपकी सोच से भी प्राचीन है। बिहार की धरती महाराज जनक की धरती रही है जिनके न्याय और धर्म के ज्ञान का सानी रामायण काल मे भी सर्वव्यापी था। बिहार की पावन धरती महात्मा बुद्ध की धरती रही है , जिन्होने विश्व शांति और सद्भाव का उत्तम ज्ञान दुनिया को दिया। जैन धर्म की संस्थापना महावीर जैन ने बिहार की इसी पावन धरा से किया। बिहार की ये पवित्र धरती महागुरु चाणक्य की कर्म स्थली रही है , जिनहोने अर्थशास्त्र और राजनीतिशास्त्र मे अपने उत्कृष्ट ज्ञान से दुनिया भर मे अपना लोहा मनवाया और बिहार के साथ साथ सम्पूर्ण भारतवर्ष का नाम रोशन किया। बिहार हजारों वर्ष पहले से ही शिक्षा और संस्कृति का केंद्र रहा है और नालंदा का प्राचीन विश्वविद्यालय इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।बिहार की धरती पर महागुरु चाणक्य के सनिध्य मे उपज कर मौर्य वंश ने अपने वीर शाषकों के परक्रम के बदौलत अपने साम्राज्य की सीमाए सभी दिशाओं मे सुदूर स्थानों तक फैलाई थी और पाटलीपुत्र की धरती से सकुशल इसका संचालन भी किया। बिहार की धरती पर ही विश्व की प्राचीनतम ज्ञात गणतन्त्र की नीव वैशाली गणराज्य मे रखी गई थी और सफलतापूर्वक गणतन्त्र का संचालन जनता के चुने प्रतिनिधियों द्वारा किए जाने के प्रमाण उपलब्ध हैं। आज़ादी की पहली लड़ाई मे सन 1857 मे बिहार की धरती से ही वीर कुँवर सिंह ने विद्रोह का कुशल नेतृत्व किया और अंग्रेज़ी सेनाओं से लोहा लिया था और उनको नाको चने चबवाये थे। और आज़ादी के बाद बिहार की धरती के लाल बाबू राजेंद्र प्रसाद जी स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बन कर बिहार का नाम और रौशन किया।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है की ओछी राजनीति से ऊपर उठें और बिहार के अपने 10 वर्षों के शासनकाल मे किए गए विकास को ले कर जनता के बीच जाएँ और इस तरह की ओछी राजनीति से बाज आयें। आपका DNA सम्पूर्ण बिहार का DNA न कभी था और न कभी हो सकता है। बिहार के स्वर्णिम इतिहास के बराबर स्वयं को बनाने का जो आप निरर्थक प्रयास कर रहे हैं उससे आपकी सोच पर हसी भी आ रही है और आपके वैचारिक दिवालियेपन पर रोना भी आ रहा है। असल मे किसी भी व्यक्ति के वैचारिक ज्ञान का स्तर उसके संगति के ऊपर काफी हद तक निर्भर करता है और आप तो आज कल चारा चोरों से ले कर नृशंश अपराधियों और धूर्त ढ़ोगियों के संगत मे हैं, अतः आपके वैचारिक ज्ञान के इस गिरे हुये स्तर का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
काफी पहले कांग्रेस पार्टी की इन्दिरा गांधी को ये गुमान हो गया था की India is Indira and Indira is India और उनका अंजाम आपको पता ही होगा, जेल तक जाना पड़ा था। और आज कल आपको भी उसी तर्ज पर ऐसा लग रहा है की Nitish Kumar is Bihar , इसलिए नितीश बाबू, तनिक गुमान कम करिए नहीं तो ये जनता जो है न जब उठा के पटकती है, तो बुझाता नहीं की कहा फेंका गए। आगे से कृपया अपने राजनीति के स्तर को तनिक ऊपर उठाने का प्रयास करें, अन्यथा बिहार की जनता सब समझती है और आपको उठा कर कहा फेकेगी आप इसका अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते।

महाशय जी बिहार की धरती का स्वर्णिम इतिहास आपकी सोच से भी प्राचीन है। बिहार की धरती महाराज जनक की धरती रही है जिनके न्याय और धर्म के ज्ञान का सानी रामायण काल मे भी सर्वव्यापी था। बिहार की पावन धरती महात्मा बुद्ध की धरती रही है , जिन्होने विश्व शांति और सद्भाव का उत्तम ज्ञान दुनिया को दिया। जैन धर्म की संस्थापना महावीर जैन ने बिहार की इसी पावन धरा से किया। बिहार की ये पवित्र धरती महागुरु चाणक्य की कर्म स्थली रही है , जिनहोने अर्थशास्त्र और राजनीतिशास्त्र मे अपने उत्कृष्ट ज्ञान से दुनिया भर मे अपना लोहा मनवाया और बिहार के साथ साथ सम्पूर्ण भारतवर्ष का नाम रोशन किया। बिहार हजारों वर्ष पहले से ही शिक्षा और संस्कृति का केंद्र रहा है और नालंदा का प्राचीन विश्वविद्यालय इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।बिहार की धरती पर महागुरु चाणक्य के सनिध्य मे उपज कर मौर्य वंश ने अपने वीर शाषकों के परक्रम के बदौलत अपने साम्राज्य की सीमाए सभी दिशाओं मे सुदूर स्थानों तक फैलाई थी और पाटलीपुत्र की धरती से सकुशल इसका संचालन भी किया। बिहार की धरती पर ही विश्व की प्राचीनतम ज्ञात गणतन्त्र की नीव वैशाली गणराज्य मे रखी गई थी और सफलतापूर्वक गणतन्त्र का संचालन जनता के चुने प्रतिनिधियों द्वारा किए जाने के प्रमाण उपलब्ध हैं। आज़ादी की पहली लड़ाई मे सन 1857 मे बिहार की धरती से ही वीर कुँवर सिंह ने विद्रोह का कुशल नेतृत्व किया और अंग्रेज़ी सेनाओं से लोहा लिया था और उनको नाको चने चबवाये थे। और आज़ादी के बाद बिहार की धरती के लाल बाबू राजेंद्र प्रसाद जी स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बन कर बिहार का नाम और रौशन किया।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है की ओछी राजनीति से ऊपर उठें और बिहार के अपने 10 वर्षों के शासनकाल मे किए गए विकास को ले कर जनता के बीच जाएँ और इस तरह की ओछी राजनीति से बाज आयें। आपका DNA सम्पूर्ण बिहार का DNA न कभी था और न कभी हो सकता है। बिहार के स्वर्णिम इतिहास के बराबर स्वयं को बनाने का जो आप निरर्थक प्रयास कर रहे हैं उससे आपकी सोच पर हसी भी आ रही है और आपके वैचारिक दिवालियेपन पर रोना भी आ रहा है। असल मे किसी भी व्यक्ति के वैचारिक ज्ञान का स्तर उसके संगति के ऊपर काफी हद तक निर्भर करता है और आप तो आज कल चारा चोरों से ले कर नृशंश अपराधियों और धूर्त ढ़ोगियों के संगत मे हैं, अतः आपके वैचारिक ज्ञान के इस गिरे हुये स्तर का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
काफी पहले कांग्रेस पार्टी की इन्दिरा गांधी को ये गुमान हो गया था की India is Indira and Indira is India और उनका अंजाम आपको पता ही होगा, जेल तक जाना पड़ा था। और आज कल आपको भी उसी तर्ज पर ऐसा लग रहा है की Nitish Kumar is Bihar , इसलिए नितीश बाबू, तनिक गुमान कम करिए नहीं तो ये जनता जो है न जब उठा के पटकती है, तो बुझाता नहीं की कहा फेंका गए। आगे से कृपया अपने राजनीति के स्तर को तनिक ऊपर उठाने का प्रयास करें, अन्यथा बिहार की जनता सब समझती है और आपको उठा कर कहा फेकेगी आप इसका अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते।
नमस्ते सर! उम्मीद है वो इस पत्र का जबाब विलकुल नहीं देंगे
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