महाशय,
आपका महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल साहब को संजय दत्त की माफी के लिए लिखा गया अपील पत्र पढ़ा। विधि की ज्यादा जानकारी तो मुझे नहीं है क्यूंकी मैंने विधि की पढ़ाई अभी शुरू नहीं की है। परन्तु आपके अपील पत्र को पढ़ कर इतना तो ज्ञात अवश्य हुआ कि आपने महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल से देश के संविधान के अनुच्छेद 161 के अंतर्गत, श्रीमान संजय दत्त को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रदत्त 5 साल की सज़ा को, माफ करने का आग्रह किया है। आपने अपने अपील मे नानावटी केस का जिक्र करते हुये लिखा है कि चूंकि मर्डर के केस मे भी न्यूनतम सज़ा आजीवन कारावास होती है और इसके बावजूद महामहिम ने उसकी सज़ा माफी का आदेश दिया था, इसलिए संजय दत्त की 5 साल की सज़ा को भी माफ कर देना चाहिए। महाशय आपका संजय दत्त और इनके परिवार के प्रति निःस्वार्थ स्नेह निःसन्देह प्रशंशनीय है, परंतु क्या संजय दत्त का अपराध सचमुच क्षमायोग्य है। और क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे क्षमा याचनाओ से देश की जनता के बीच एक गलत संदेश जाएगा।
मैंने अपना विरोध के समर्थन मे निम्नलिखित बिन्दु प्रस्तुत करना चाहता हूँ :-
1-आपने क्षमा याचना की अपील मे लिखा है कि इस घटना को हुये 20 वर्षों से ज्यादा बीत चुके हैं और इन बीच संजय दत्त ने काफी मानसिक प्रताड़णा झेली है, अतः इस लिहाज से उनकी सज़ा को माफ कर देना चाहिए। महाशय अगर केवल मानसिक प्रताड़णा ही उनकी सज़ा माफ करने के लिए पर्याप्त है तो देश के विभिन्न जेलों मे हजारों कैदी हैं जिन्होने केस कि सुनवाई के दौरान ही अपनी महत्तम सज़ा से भी ज्यादा सज़ा गुज़ार ली है, और अभी तक उनके केस का फैसला भी नहीं आया है। आपको इन कैदियो के विषय मे भी मुहिम शुरू करनी चाहिए।
2-आपने ये भी लिखा है कि संजय दत्त 18 महीने कि सजा जेल मे पहले ही गुज़ार चुके हैं अतः उन्हे बाकी बची सज़ा से मुक्त कर देना चाहिये। महाशय संजय दत्त के पास 1993 मे जिस एके 56 रखने के कारण आर्म्स ऐक्ट के तहत केस चल रहा था , वो कोई मामूली हथियार नहीं था।इस हथियार को स्वरक्षा का हथियार भी नहीं कहा जाता, वरण ये असौल्ट हथियारों की श्रेणी मे आता है। मेरी जानकारी के मुताबिक उस समय ये हथियार देश कि किसी भी पुलिस के पास भी उपलब्ध नहीं था, तो ऐसे हथियार को रखने कि सज़ा अगर 5 साल न्यूनतम है तो उन्हे 5 साल कि सज़ा जेल मे गूजारनी ही चाहिए। इससे देश के नागरिकों मे कानून के प्रति सम्मान और डर की भावना और मजबूत होगी।
3-संजय दत्त के पास ये हथियार मुंबई बम ब्लास्ट के पहले उनही बम ब्लास्ट के अभियुक्तों के द्वारा पहुचायी गई थी, अगर संजय उसी समय मुंबई पुलिस को इन हथियारो ,विस्फोटकों कि जानकारी दे देते तो शायद मुंबई ब्लास्ट जैसे भयावह दुर्घटना से बचा जा सकता था और उन असंख्य लोगों और परिवारों, जो इस दुर्घटना से मानसिक और शरीरीक रूप से प्रताड़ित हुये थे, उससे बचाया जा सकता था।
4-आपने ये भी लिखा है कि संजय शादी शुदा और दो बच्चों के बाप भी हैं , इसलिए भी उन्हे सज़ा माफी दे देनी चाहिए। अगर सिर्फ शादी शुदा और दो बच्चों के बाप होने के नाते सज़ा माफी दी जाने लगी तो महामहिम के कार्यालय मे सज़ा माफी के इतने याचनायेँ प्रति दिन आने लगेंगी, जिसका अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है।और ये देश के कानून पालन करने वाली आम जनता के समक्ष निश्चित रूप से एक गलत उदाहरण प्रस्तुत करेगा।
5-निश्चय ही संजय कोई आतंकवादी नहीं है परंतु उन्होने एक कानून पालन करने वाले नागरिक का फर्ज भी कतई नहीं निभाया है। एक उंडर ग्राउंड अपराधी और उसके आदमियों के साथ दोस्ताना रिश्ते निभाना और उनकी मदद से गैर कानूनी हथियारों को प्राप्त करना, निःसन्देह ही कानून के पालन करने वाले व्यक्ति का व्यवहार तो नही ही माना जाएगा।
6-स्वर्गीय सुनील दत्त साहब और नर्गिस जी ने निश्चयरूप से समाज और देश के निर्माण मे अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है, परंतु क्या सिर्फ इसी कारण से संजय दत्त का अपराध क्षमायोग्य है।
7-आपने अपने अपील पत्र मे ये भी जिक्र किया है कि संजय दत्त ने पिछले 20 सालों मे सिनेमा के माध्यम से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आचरण,चरित्र और उनके सिद्धांतों को आम जन तक फिर से पहुँचाने का कार्य किया है। आपका इशारा ज़रूर 'लगे रहो मुन्नाभाइ' कि तरफ रहा होगा। मैं आपका ध्यान कुछ और फिल्म शीर्षकों कि ओर लाना चाहता हूँ, अगर आपने खलनायक,वास्तव,हथियार,अग्निपथ जैसी फिल्मे नहीं देखी हैं तो कृपया करके इन फिल्मों को भी देखे और बताने का कष्ट करे कि इन फिल्मों के माध्यम से उन्होने किस आचरण और सिद्धांतों का आचरण करने का संदेश दिया है? अगर फिल्मों मे निभाए गए व्यक्तित्व के आधार पर ही सज़ा देने या न देने का प्रावधान किया जाने लगे तो 'गैन्गस ऑफ वास्सेयपुर' मे निभाए गए चरित्रों के आधार पर फिल्म के कलाकारों को तो फांसी पर ही लटकाया जाने लगेगा।
इसलिए मैं आपसे विनम्र निवेदन करूंगा कि आप अपने क्षमा याचना कि अपील पर पुनर्विचार करे और महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल भी क्षमायाचना को खारिज करे और देश के आम नागरिकों मे देश के कानून के प्रति आस्था को मजबूत करने मे सहयोग प्रदान करें।
धन्यवाद।।
आपका महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल साहब को संजय दत्त की माफी के लिए लिखा गया अपील पत्र पढ़ा। विधि की ज्यादा जानकारी तो मुझे नहीं है क्यूंकी मैंने विधि की पढ़ाई अभी शुरू नहीं की है। परन्तु आपके अपील पत्र को पढ़ कर इतना तो ज्ञात अवश्य हुआ कि आपने महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल से देश के संविधान के अनुच्छेद 161 के अंतर्गत, श्रीमान संजय दत्त को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रदत्त 5 साल की सज़ा को, माफ करने का आग्रह किया है। आपने अपने अपील मे नानावटी केस का जिक्र करते हुये लिखा है कि चूंकि मर्डर के केस मे भी न्यूनतम सज़ा आजीवन कारावास होती है और इसके बावजूद महामहिम ने उसकी सज़ा माफी का आदेश दिया था, इसलिए संजय दत्त की 5 साल की सज़ा को भी माफ कर देना चाहिए। महाशय आपका संजय दत्त और इनके परिवार के प्रति निःस्वार्थ स्नेह निःसन्देह प्रशंशनीय है, परंतु क्या संजय दत्त का अपराध सचमुच क्षमायोग्य है। और क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे क्षमा याचनाओ से देश की जनता के बीच एक गलत संदेश जाएगा।

1-आपने क्षमा याचना की अपील मे लिखा है कि इस घटना को हुये 20 वर्षों से ज्यादा बीत चुके हैं और इन बीच संजय दत्त ने काफी मानसिक प्रताड़णा झेली है, अतः इस लिहाज से उनकी सज़ा को माफ कर देना चाहिए। महाशय अगर केवल मानसिक प्रताड़णा ही उनकी सज़ा माफ करने के लिए पर्याप्त है तो देश के विभिन्न जेलों मे हजारों कैदी हैं जिन्होने केस कि सुनवाई के दौरान ही अपनी महत्तम सज़ा से भी ज्यादा सज़ा गुज़ार ली है, और अभी तक उनके केस का फैसला भी नहीं आया है। आपको इन कैदियो के विषय मे भी मुहिम शुरू करनी चाहिए।
2-आपने ये भी लिखा है कि संजय दत्त 18 महीने कि सजा जेल मे पहले ही गुज़ार चुके हैं अतः उन्हे बाकी बची सज़ा से मुक्त कर देना चाहिये। महाशय संजय दत्त के पास 1993 मे जिस एके 56 रखने के कारण आर्म्स ऐक्ट के तहत केस चल रहा था , वो कोई मामूली हथियार नहीं था।इस हथियार को स्वरक्षा का हथियार भी नहीं कहा जाता, वरण ये असौल्ट हथियारों की श्रेणी मे आता है। मेरी जानकारी के मुताबिक उस समय ये हथियार देश कि किसी भी पुलिस के पास भी उपलब्ध नहीं था, तो ऐसे हथियार को रखने कि सज़ा अगर 5 साल न्यूनतम है तो उन्हे 5 साल कि सज़ा जेल मे गूजारनी ही चाहिए। इससे देश के नागरिकों मे कानून के प्रति सम्मान और डर की भावना और मजबूत होगी।
3-संजय दत्त के पास ये हथियार मुंबई बम ब्लास्ट के पहले उनही बम ब्लास्ट के अभियुक्तों के द्वारा पहुचायी गई थी, अगर संजय उसी समय मुंबई पुलिस को इन हथियारो ,विस्फोटकों कि जानकारी दे देते तो शायद मुंबई ब्लास्ट जैसे भयावह दुर्घटना से बचा जा सकता था और उन असंख्य लोगों और परिवारों, जो इस दुर्घटना से मानसिक और शरीरीक रूप से प्रताड़ित हुये थे, उससे बचाया जा सकता था।
4-आपने ये भी लिखा है कि संजय शादी शुदा और दो बच्चों के बाप भी हैं , इसलिए भी उन्हे सज़ा माफी दे देनी चाहिए। अगर सिर्फ शादी शुदा और दो बच्चों के बाप होने के नाते सज़ा माफी दी जाने लगी तो महामहिम के कार्यालय मे सज़ा माफी के इतने याचनायेँ प्रति दिन आने लगेंगी, जिसका अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है।और ये देश के कानून पालन करने वाली आम जनता के समक्ष निश्चित रूप से एक गलत उदाहरण प्रस्तुत करेगा।
5-निश्चय ही संजय कोई आतंकवादी नहीं है परंतु उन्होने एक कानून पालन करने वाले नागरिक का फर्ज भी कतई नहीं निभाया है। एक उंडर ग्राउंड अपराधी और उसके आदमियों के साथ दोस्ताना रिश्ते निभाना और उनकी मदद से गैर कानूनी हथियारों को प्राप्त करना, निःसन्देह ही कानून के पालन करने वाले व्यक्ति का व्यवहार तो नही ही माना जाएगा।
6-स्वर्गीय सुनील दत्त साहब और नर्गिस जी ने निश्चयरूप से समाज और देश के निर्माण मे अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है, परंतु क्या सिर्फ इसी कारण से संजय दत्त का अपराध क्षमायोग्य है।
7-आपने अपने अपील पत्र मे ये भी जिक्र किया है कि संजय दत्त ने पिछले 20 सालों मे सिनेमा के माध्यम से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आचरण,चरित्र और उनके सिद्धांतों को आम जन तक फिर से पहुँचाने का कार्य किया है। आपका इशारा ज़रूर 'लगे रहो मुन्नाभाइ' कि तरफ रहा होगा। मैं आपका ध्यान कुछ और फिल्म शीर्षकों कि ओर लाना चाहता हूँ, अगर आपने खलनायक,वास्तव,हथियार,अग्निपथ जैसी फिल्मे नहीं देखी हैं तो कृपया करके इन फिल्मों को भी देखे और बताने का कष्ट करे कि इन फिल्मों के माध्यम से उन्होने किस आचरण और सिद्धांतों का आचरण करने का संदेश दिया है? अगर फिल्मों मे निभाए गए व्यक्तित्व के आधार पर ही सज़ा देने या न देने का प्रावधान किया जाने लगे तो 'गैन्गस ऑफ वास्सेयपुर' मे निभाए गए चरित्रों के आधार पर फिल्म के कलाकारों को तो फांसी पर ही लटकाया जाने लगेगा।
इसलिए मैं आपसे विनम्र निवेदन करूंगा कि आप अपने क्षमा याचना कि अपील पर पुनर्विचार करे और महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल भी क्षमायाचना को खारिज करे और देश के आम नागरिकों मे देश के कानून के प्रति आस्था को मजबूत करने मे सहयोग प्रदान करें।
धन्यवाद।।
Aapkee himmat kee daad deni padegi - bilkul sateek likha- very goodsir
ReplyDeleteDhanyavaad bhai sahab. :)
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletebahut accha likhte ho bhai..keep it up/
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