अभी पिछले दिनों सूबे की समाजवादी सरकार ने, चुनाव पूर्व किये गए वादों की पूरा करने के प्रक्रिया में पिछले साल इंटरमीडिएट की परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों को लैपटॉप प्रदान किये। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में तकरीबन दस हज़ार छात्रों को लैपटॉप बांटे। आने वाले दिनों में और भी जिलों में इस कार्यक्रम को आगे बढाया जायेगा।लेकिन सूबे की विपक्षी पार्टियों ने इस योजना को लेकर सरकार का काफी विरोध किया है।
गौरतलब है की सरकार लैपटॉप का झुनझुना थमाकर सूबे की जनता को आम बुनियादी सुविधायें देने के अपने उत्तरदायित्व से मुह मोड़ने का प्रयास कर रही है।इस योजना से सरकारी खजाने पर तीन हज़ार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा, जिससे विकास की विभिन्न योजनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।उत्तर प्रदेश की जनता पहले से ही बुनियादी सुविधाओं से जूझ रही है और सरकार के इस गैरजिम्मेदाराना फैसले से उसकी विकास के प्रति गंभीरता साफ़ मालूम पड़ती है।प्रदेश की जनता पहले से ही सरकारी महकमो में फैले भ्रस्टाचार, बिजली,सड़क और पानी की अव्यवस्था और अपराध की दानवरुपी समस्या से ग्रसित है और पिछले एक वर्षों में इसमें निरंतर बढ़ोतरी ही हुई है।लेकिन सरकार और इसके मंत्री इन समस्याओं से मुंह मोड़ते हुए यहाँ के छात्रों को लैपटॉप रुपी झुनझुना देने का फैसला किया है।यह गौर करने योग्य है की प्रदेश के लगभग सभी बड़े जिले बिजली की समस्या से ग्रसित हैं और गाँवों का हाल तो पूछिये ही मत और उस पर प्रश्न ये उठता है की इस लैपटॉप की बैटरी चार्ज करने के लिए सरकार क्या उपाय करेगी और क्या सिर्फ एक लैपटॉप दे देने भर से सरकार की उसके जनता के प्रति उत्तरदायित्व समाप्त हो जाता है।
अखबार में छपी ख़बरों के अनुसार लाभार्थी विद्यार्थियों में से कईयों से लैपटॉप मिलने के तुरंत बाद इसे बेचने के लिए विभिन्न दुकानों का रुख किया लेकिन उसमे सफल नहीं हो पाए। इससे उन लाभार्थियों की गंभीरता का भी अंदाजा लगाया जा सकता है की वो इस लैपटॉप और उससे होने वाले फायदे को लेकर कितना गंभीर हैं।सरकार ने लैपटॉप रुपी झुनझुना थमाकर अपनी नीति तो स्पष्ट रूप से जग जाहिर कर ही दी है। इसलिए सरकार के इस रवैये को विकासोन्मुखी तो बिलकुल ही करार नहीं दिया जा सकता। सरकार वोट के बदले नोट न देकर वोट के बदले लैपटॉप देने की एक नयी प्रथा की शुरुआत कर रही है।और इस लैपटॉप की एक खास बात ये है की इसमें माननीय मुख्यमंत्री जी का ही वॉलपेपर लगाया जा सकता है, कुछ छात्रों ने जब इसे हटाने की कोशिश की तो लैपटॉप जी क्रैश कर गया।अब इससे ये साफ़ अंदाज़ा लगाया जा सकता है की सरकार इन छात्रों की भविष्य को ले कर कितनी जागरूक है।सरकारी धन का उपयोग कर के एक व्यक्ति विशेष की प्रचार की ये योजना प्रदेश को किस तरफ ले जाएगी और इसमें सरकार द्वारा कौन सी दूरदर्शिता का परिचय दिया गया है, ये जानने के लिए स्वयं मैं भी काफी जागरूक हूँ।
वैसे सरकार के इस लैपटॉप बाँटने के कार्यक्रम के द्वारा एक बिलकुल ही नयी प्रथा की शुरुआत तो कर ही दी है।अब वो दिन दूर नहीं जब विभिन्न राजनीतिक पार्टियां आने वाले विधान सभा चुनावों में अपने घोषणापत्र में फ्रिज, कलर टीवी, वाशिंग मशीन, मोबाइल फ़ोन देने जैसे लोक लुभावन वादे करते नज़र आयेंगे।और इन वादों के द्वारा चुन कर आने वाली सरकार का रुख जनता के हितों के प्रति कितना रहेगा ये स्वयं सोचने योग्य है।जनता को भी इन लोकलुभावन वादों के तात्कालिक लाभ से परे सोच कर दूरगामी परिणाम देने वाले विकासोन्मुखी सरकार के निर्माण में सहयोग करना चाहिए।
गौरतलब है की सरकार लैपटॉप का झुनझुना थमाकर सूबे की जनता को आम बुनियादी सुविधायें देने के अपने उत्तरदायित्व से मुह मोड़ने का प्रयास कर रही है।इस योजना से सरकारी खजाने पर तीन हज़ार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा, जिससे विकास की विभिन्न योजनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।उत्तर प्रदेश की जनता पहले से ही बुनियादी सुविधाओं से जूझ रही है और सरकार के इस गैरजिम्मेदाराना फैसले से उसकी विकास के प्रति गंभीरता साफ़ मालूम पड़ती है।प्रदेश की जनता पहले से ही सरकारी महकमो में फैले भ्रस्टाचार, बिजली,सड़क और पानी की अव्यवस्था और अपराध की दानवरुपी समस्या से ग्रसित है और पिछले एक वर्षों में इसमें निरंतर बढ़ोतरी ही हुई है।लेकिन सरकार और इसके मंत्री इन समस्याओं से मुंह मोड़ते हुए यहाँ के छात्रों को लैपटॉप रुपी झुनझुना देने का फैसला किया है।यह गौर करने योग्य है की प्रदेश के लगभग सभी बड़े जिले बिजली की समस्या से ग्रसित हैं और गाँवों का हाल तो पूछिये ही मत और उस पर प्रश्न ये उठता है की इस लैपटॉप की बैटरी चार्ज करने के लिए सरकार क्या उपाय करेगी और क्या सिर्फ एक लैपटॉप दे देने भर से सरकार की उसके जनता के प्रति उत्तरदायित्व समाप्त हो जाता है।
अखबार में छपी ख़बरों के अनुसार लाभार्थी विद्यार्थियों में से कईयों से लैपटॉप मिलने के तुरंत बाद इसे बेचने के लिए विभिन्न दुकानों का रुख किया लेकिन उसमे सफल नहीं हो पाए। इससे उन लाभार्थियों की गंभीरता का भी अंदाजा लगाया जा सकता है की वो इस लैपटॉप और उससे होने वाले फायदे को लेकर कितना गंभीर हैं।सरकार ने लैपटॉप रुपी झुनझुना थमाकर अपनी नीति तो स्पष्ट रूप से जग जाहिर कर ही दी है। इसलिए सरकार के इस रवैये को विकासोन्मुखी तो बिलकुल ही करार नहीं दिया जा सकता। सरकार वोट के बदले नोट न देकर वोट के बदले लैपटॉप देने की एक नयी प्रथा की शुरुआत कर रही है।और इस लैपटॉप की एक खास बात ये है की इसमें माननीय मुख्यमंत्री जी का ही वॉलपेपर लगाया जा सकता है, कुछ छात्रों ने जब इसे हटाने की कोशिश की तो लैपटॉप जी क्रैश कर गया।अब इससे ये साफ़ अंदाज़ा लगाया जा सकता है की सरकार इन छात्रों की भविष्य को ले कर कितनी जागरूक है।सरकारी धन का उपयोग कर के एक व्यक्ति विशेष की प्रचार की ये योजना प्रदेश को किस तरफ ले जाएगी और इसमें सरकार द्वारा कौन सी दूरदर्शिता का परिचय दिया गया है, ये जानने के लिए स्वयं मैं भी काफी जागरूक हूँ।
वैसे सरकार के इस लैपटॉप बाँटने के कार्यक्रम के द्वारा एक बिलकुल ही नयी प्रथा की शुरुआत तो कर ही दी है।अब वो दिन दूर नहीं जब विभिन्न राजनीतिक पार्टियां आने वाले विधान सभा चुनावों में अपने घोषणापत्र में फ्रिज, कलर टीवी, वाशिंग मशीन, मोबाइल फ़ोन देने जैसे लोक लुभावन वादे करते नज़र आयेंगे।और इन वादों के द्वारा चुन कर आने वाली सरकार का रुख जनता के हितों के प्रति कितना रहेगा ये स्वयं सोचने योग्य है।जनता को भी इन लोकलुभावन वादों के तात्कालिक लाभ से परे सोच कर दूरगामी परिणाम देने वाले विकासोन्मुखी सरकार के निर्माण में सहयोग करना चाहिए।
sahi hai ye phir se wahi purana sarkar aa gaya hai ki baap CM hai toh beta bhi CM
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