Wednesday, December 31, 2014

एक और साल गुज़र रहा है ...

समेट कर न जाने कितनी यादें अपने आँचल मे , ये देखो एक और साल गुज़र रहा है।
कुछ खट्टी , कुछ मीठी और कुछ  चटपटी यादों से भरपूर एक और साल
कभी हंसी , कभी खुशी , तो कभी ग़म के माहौल से भरा रहा एक और साल
इन सभी पलों को अपने आँचल मे समेट कर, ये देखो एक और साल गुजर रहा है।

कुछ अनसुनी कुछ अनकही बातें भी समेटे है ये साल ,
कभी नम आँखों मे आँसू भी समेटे है ये साल,
किसी की हंसी के कारण को समेटे है ये साल,
इन सभी पलों को अपने आँचल मे समेट कर , ये देखो एक और साल गुज़र रहा है।

किसी ने देखी सफलता की नई ऊँचाइयाँ ,
किसी को विषमताओं से उबरने मे उलझाए रहा ये साल।
किसी को पल पल रही अपने प्यार की तलाश ,
तो किसी के प्यार ने उसे ढूंढ ही लिया अनायास।
इन सभी पलों को अपने आँचल मे समेट कर , ये देखो एक और साल गुज़र रहा है।



Sunday, September 14, 2014

हिन्दी दिवस पर ही हिन्दी को सम्मान क्यू ?


14 सितंबर को हर वर्ष देश मे जगह जगह हिन्दी दिवस मनाया जाता रहा है। हर वर्ष की तरह आज भी बड़े बड़े लोग, राजनीतिज्ञ , हिन्दी भाषा के विभिन्न स्वघोषित पुरोधा और सामाजिक कार्यकर्ता बड़े ही जोश के साथ जगह जगह हिन्दी को सम्मान दे रहे हैं और हिन्दी भाषा के विकास और प्रचार प्रसार के बारे मे अपना ज्ञान दे रहे हैं। टीवी के हिन्दी खबरिया चेनेलो पर तो सुबह से विभिन्न सेमिनार और सम्मेलन किए जा रहे हैं। लेकिन मुद्दा ये है की क्या आज के बाद इनमे से 10 प्रतिशत लोग भी हिन्दी के सम्मान के लिए अगले 14 सितंबर तक चर्चा करेंगे ? इसका जवाब बड़े बड़े अक्षरों मे 'नहीं' है। खबरिया चैनल की एक दिन की टीआरपी का जुगाड़ हो गया और इनमे बोलने वालों को भी एक दिन के लिए थोड़ा स्क्रीन स्पेस मिल गया। लेकिन क्या सिर्फ एक दिन चर्चा कर लेने भर से ही हिन्दी का सम्मान हो जाता है? क्या साल मे एक दिन हिन्दी भाषा को सम्मानित कर देने भर से हिन्दी भाषा के प्रति हमारा कर्तव्य समाप्त हो जाता है ? अगर हिन्दी को सम्मान देने के लिए हमे एक खास दिन पर निर्भर होना पड़े तो हिन्दी का इससे बड़ा अपमान शायद ही कुछ और हो।
आखिर क्यूँ हिन्दी भाषा को सम्मान देने के लिए हमे एक खास दिन पर निर्भर होना पड़ता है। क्या साल के बाकी दिन हम हिन्दी को सम्मान नहीं दे सकते। अगर हम संकल्प लें कि कि हम थोड़ा थोड़ा ही सही लेकिन प्रतिदिन हिन्दी के सम्मान के लिए कुछ काम करेंगे तो ये बहुत भारी काम नहीं है। हिन्दी विश्व की दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है और हिन्दी भाषा को इसका उचित सम्मान अगर हम हिंदुस्तानी नहीं देंगे तो बाकी कोई नहीं दे पाएगा। आइये सभी मिल कर संकल्प लें की हिन्दी को इसका सम्मानजनक स्थान अपने दैनिक कार्यक्रमों मे देने की कोशिश करेंगे और अगर कोशिश ईमानदार रूप से की जाए तो हिन्दी भाषा को हम इसका यथोचित स्थान तक पहुचाने मे अपना सहयोग दे पाएंगे।
कुछ वर्षों पहले जब मैंने अपना ब्लॉग लिखने का मन बनाया तो मैं काफी असमंजस मे था की संवाद की भाषा क्या रखु , हिन्दी या अँग्रेजी। काफी सोच विचार कर के ये निश्चय किया की संवाद का माध्यम हिन्दी भाषा ही रहेगी और आज भी मैं ब्लॉगिंग के लिए हिन्दी भाषा का ही प्रयोग कर रहा हूँ। हो सकता है मेरे लिखने मे काफी त्रुटि रहती होगी, बीच बीच मे मैं अँग्रेजी के कुछ शब्दों का भी प्रयोग करता रहा हूँ। लेकिन कोशिश हमेशा रहती है कि हिन्दी भाषा की अपने शब्दावली का ज्ञान वर्धन करूँ। और कोशिश आज भी लगातार जारी है। आप भी कुछ ऐसा ही संकल्प लीजिये और हिन्दी के सम्मान के लिए आप जितना सहयोग कर सकते हैं कीजिये। हिन्दी के सम्मान के लिए एक खास दिन पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए।



Friday, September 5, 2014

भारत के मीडिया को एक खुला पत्र

 नरेंद्र मोदी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर सभी मीडिया चैनल और संगठित विपक्ष ने मोदी सरकार के 100 दिन का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। स्वतंत्र भारत के पिछले 65 साल के इतिहास मे कभी भी मीडिया ने किसी भी केंद्र सरकार के महज 100 दिन पूरे होने पर रिपोर्ट कार्ड पेश करने का अतिउत्साह नहीं दिखाया था। जबकि श्री नरेंद्र मोदी ने प्रधान सेवक बनने के बाद अपने पहले अभिभाषण मे ही 5 साल के कार्यकाल के बाद अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करने की घोषणा कर चुके हैं और जाहिर तौर पर जब देश की जनता ने सरकार को 5 साल के लिए प्रचंड बहुमत दिया है तो देश की मीडिया को भी अपने इस जनादेश का सम्मान करते हुये सरकार को रिपोर्ट कार्ड मे उलझाने की बजाय जनकल्याण की योजनाओं के प्रसार मे अपना सकारात्मक समर्थन देने की जरुरत है।
 लेकिन जब 100 दिन के कार्यकाल पर रिपोर्ट कार्ड पेश करने की इतनी ज्यादा उत्सुकता मीडिया और विपक्ष के बीच उपज ही गई है तो देश के एक ज़िम्मेवार नागरिक होने के नाते मैंने भी मोदी सरकार के 100 दिन के कार्यकाल पर अपने स्वछंद विचार प्रस्तुत करने के लिए इस ब्लॉग पोस्ट का सहारा लेने की ज़रूरत समझी।
16 मई को देश की जनता ने अपना जनादेश देते हुये स्पष्ट कर दिया था की इस बार जनता को एक स्वतंत्र सोच वाली और बिना किसी बाधा  के काम करने वाली एक प्रचंड बहुमत की सरकार चाहिए थी। देश की जनता ने श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मे काम करने के लिए भाजपा को 272+ के जादुई आंकड़े तक पहुचा दिया था और देश को एक ऐसा जनादेश दिया था जो एक मजबूत और कठोर फैसले ले सकने वाली सरकार के गठन की ओर बढ़ी थी। इस प्रचंड बहुमत देने के पीछे जनता के बीच पिछली सरकारों के प्रति गुस्से का भाव स्पष्ट प्रतीत हो रहा था। और जैसा की अनुमान था नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मे सरकार बनने के तुरंत बाद से ही सरकार ने फ्रंट फूट पर आ कर वो सभी ज़रूरी फैसले लिए जो देश की ध्वस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए आवश्यक थे, जिनमे रेल के यात्री किरायों मे बढ़ोतरी जैसे कठोर फैसले तक शामिल थे। कांग्रेस के नेतृत्व मे मनमोहन सिंह की पिछली सरकार ने नई सरकार को ध्वस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था, न्यूनतम विकास दर और आसमान छूती महंगाई विरासत मे दी थी, लेकिन सरकार ने अपने सुधार कार्यक्रमों और पॉलिसी फेरबदल से काफी जल्दी ही इन सभी पर काबू पा लिया।
पेट्रोल के दामों मे भारी गिरावट, देश की विकास दर मे अप्रत्याशित बढ़ोतरी और दूरगामी परिणाम वाले कई फैसले कर के सरकार ने अपने आने वाले 5 साल के क्रियाकलापों की झलक महज 100 दिनो मे दिखा दी है और देश के जन जन मे ऐसे उम्मीद जागी है की आने वाले 5 सालों मे देश अवश्य ही विकास के प पर आगे बढ़ेगा। महज 100 दिनो के कार्यकाल के भीतर प्रधान मंत्री जन धन योजना शुरू की गई जिसका मुख्य उद्देश्य वित्तीय रूप से उपेक्षित गरीब जनता को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ना है और जिसके पहले दिन ही 1.84 करोड़ बैंक अकाउंट खोले गए जिसका सीधा फादा देश की गरीब जनता को मिला है। इसी बैंक अकाउंट के माध्यम से 1 लाख का बीमा और सीमित कर्ज की सुविधा भी आने वाले दिनों मे जनता को दी जाएगी। ऐसे ही कई और दूरगामी परिणाम वाले फैसले मोदी सरकार द्वारा लिए गए हैं जिनमे गंगा सफाई , स्मार्ट सिटि का विकास, डिजिटल इंडिया जैसा महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट, राज्यमार्गों का बेहतर रखरखाव और नए राज्यमार्गों का निर्माण जैसे महत्वपूर्ण फैसले शामिल हैं।
देश के साथ साथ सरकार ने वर्षों से शिथिल पड़ी अपनी विदेश नीति मजबूत करने का भी फैसला किया और मोदी जी भूटान , नेपाल और जापान जैसे पड़ोसी देशों की यात्रा कर आपसी संबंधों को सुदृढ़ बनाने की दिशा मे काफी आगे बढ़ रहे हैं। सार्क देशों के लिए अपना स्वयं का उपग्रह की योजना बना कर मोदी जी ने वसुधे कुटुंबकम की भारतवर्ष की प्राचीन परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया है। नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देशो के साथ भागीदारी को आगे बढ़ाने के क्षेत्र मे भी आगे बढ़ते हुये मोदी जी ने सर्वप्रथम दोनों देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों को आगे बढ़ाया और इनके विकास मे भी भागीदारी का भरोषा दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों को वह जा कर दिया। जापान जा कर मोदी जी ने भारत के विकास मे जापान की भूमिका का भी व्याख्या की और आने वाले वर्षों मे जापान के सहयोग से भारत मे अनेकों परियोजनाओं की नीव भी रखी। काशी की प्राचीनता को बरकरार रखते हुये इसके विकास का खाका भी खीचा और गंगा शुद्धिकरण के प्रति सरकार की गंभीर मंशा भी जाहीर की। पाकिस्तान द्वारा बार बार यूद्धविराम का उल्लंघन करने पर सेना को भी उचित जवाब देने की छुट दी गई। पिछले 100 दिनों के कार्यकाल से सरकार ने ये स्पष्ट कर दिया है की देश के विकास के हर पहलू को उचित स्थान दिया जाएगा और साथ ही साथ सामरिक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी सरकार उचितफैसले लेती रहेगी। एक आम नागरिक सरकार के 100 दिन के कार्यकाल से खुश है और उसे इन 100 दिनों मे देश के आने वाले 5 सालों की झलक मिल गई है। उम्मीद है मीडिया भी अपने पूर्वाग्रह से उबरेगा और सरकार के कदमों की न सिर्फ सराहना करेगी बल्कि लोकतन्त्र के एक मजबूत स्तम्भ की तरह भूमिका अदा करते हुये खुद भी इस विकास के रथ मे योगदान अगर न भी दे तो कम से कम समाज मे गलत संदेश तो नहीं प्रचारित करेगी।

चित्र-  साभार श्री मनोज कुरील 

Wednesday, August 6, 2014

भारत के शीर्ष कार्टूनिस्ट , कार्टूनिस्ट प्राण को एक श्रद्धांजलि ।

मशहूर कार्टूनिस्ट प्राण साहब को न जाने ऐसा शायद ही कोई होगा मेरी पीढ़ी या उसके पहले की पीढ़ी मे। हमारा तो पूरा बचपन ही प्राण साहब की रचनाओं के बीच गुजरा है। जितनी उत्सुकता चाचा चौधरी, साबू जैसे चरित्रों ने पैदा की उतनी शायद ही उन दिनों मे किसी और चीज़ को देख या सुन कर होती रही होगी। आज प्राण साहब हमारे बीच नहीं रहे तो बरबस ही बचपन के दिनो की एक घटना मेरे दिमाग मे कौंध गई। इसी घटना का वृतांत सुनाकर मैं प्राण साहब को अपनी तरफ से श्रद्धांजलि प्रस्तुत करना चाहता हूँ। अब ये प्रयास सफल रहती है या विफल ये आप लोग स्वयं निश्चित करें।

बात तब की है जब मैं तकरीबन 8 या 9 साल का था। स्कूल से लौटने के बाद काफी समय चाचा चौधरी, साबू, बिल्लू इनके हीं बीच गुजरता था। एक दिन ऐसे ही एक दोपहर मे चाचा चौधरी की कॉमिक्स मे पढ़ा की जब साबू को गुस्सा आता है तो कहीं ज्वालामुखी फटता है। मैंने पढ़ा तो कई बार था इस लाइन को लेकिन उस दिन काफी उत्सुकता हुई ये जानने की आखिर ये ज्वालामुझी फटता कहाँ हैं। बाल मन परेशान था की किससे पूछूं ये रहस्य की ज्वालामुखी कहाँ फटता है? फिर क्या था पापा के ऑफिस से वापस आने का इंतज़ार करने लगा और जैसे ही पापा दिखे दौड़ कर उनके पास गया और उन पर सवाल दाग दिया की जब साबू को गुस्सा आता है तो ज्वालामुखी कहाँ फटता है? पापा ने भी 1 सेकंड के लिए सोचा की ये सवाल एकाएक कहाँ से दाग दिया गया उनके ऊपर और फिर उन्होने एक झन्नाटेदार थप्पड़ मेरे गाल पर जड़ दिया। मुझे पता चल चुका था की ज्वालामुखी कहाँ फटता है। उम्मीद है आप भी समझ गए होंगे।


चित्र- साभार श्री मनोज कुरील

Saturday, July 19, 2014

उत्तर प्रदेश मे व्याप्त जाने ये कैसा समाजवाद ?

भारत के स्वधिनता संग्राम के एक मजबूत स्तम्भ राम मनोहर लोहिया ने समाजवाद की परिकल्पना इस उद्देश्य से करी थी की समाज के आखिरी छोर तक खड़े गरीबों , दलितों को समाजिक विकास की अगली पंक्ति मे ला कर सभी वर्गों के साथ कंधे से कंधे मिला कर चलने योग्य बनाया जाएगा। लेकिन लोहिया के चेलों ने जाने लोहिआ से समाजवाद की कौन सी शिक्षा ली थी जो आज के उत्तर प्रदेश मे परिलक्षित हो रही है। ये लोहिया के शिक्षा की विफलता तो बिलकुल ही नहीं हो सकती, वरन ये उनके शिष्यों के समाजवाद के समझ की ही विफलता है। समाजवाद की जो परिकल्पना लोहिया जी ने की थी वो तो उनके साथ ही इस दुनिया से चला गया और मुलायम जैसे लोग उस समाजवाद की आत्मा को तड़पा भर ही रहे हैं। आज हमारे उत्तर प्रदेश मे गरीबों, दलितों और महिलाओं पर हो रहा अत्याचार समाजवाद की परिभाषा मे तो नहीं आता। ये लोहिया का समाजवाद नहीं, परंतु उनके चेलों का सीखा हुआ असमाजवाद ही हो सकता है। 
लोहिया से शुरू हुई समाजवाद की परिकल्पना आज समाजवाद के स्व्घोषित पुरोधा मुलायम के परिवार की दहलीज पर दम तोड़ चुका है। मुलायम ने आज समाजवाद को पारिवारिक जामा पहना कर महज एक परिवारवाद बना दिया है। लोहिया जी ने समाजवाद की परिकल्पना समाज के अंतिम छोर तक मौजूद लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने की थी, परंतु उनही राम मनोहर लोहिया के शिष्य मुलायम सिंह यादव ने उनके समाजवाद के दिव्य स्वपन को अपने द्वारा बनाए हुये परिवारवाद के पैरों कुचल दिया है।
लोहिया तो राजनीति की गंदी गली में भी शुद्ध आचरण की बात करते थे। लेकिन आज का मुलायम का समाजवाद तो उनके इस विचार से कोसों दूर दिखाई पड़ता है। शुद्ध आचरण की बात ही आज की समाजवाद मे बेमानी है। आज उत्तर प्रदेश का कोना कोना मुलायम के असमाजवाद के जहर को घुट घुट के पी रहा है। आज उत्तर प्रदेश की निरंकुश सरकार को जनता की परेशानियों से कोई मतलब नहीं है। इनहोने जनता की लाश कुचल कर परिवारवाद को आगे बढ़ाया है।इस असमाजवाद के बर्बर और निरंकुश रूप को देख कर कहीं न कहीं लोहिया की आत्मा भी अवश्य ही रोज़ तड़प उठती होगी। आज इस असमाजवाद से इस प्रदेश को सिर्फ राष्ट्रवाद ही बचा सकता है। सभी राष्ट्रवादियों को मिल कर इस असमाजवाद को उखाड़ फेकना ही होगा।



Tuesday, July 8, 2014

वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।

जहां महिलाएं बलात्कार के बाद पेड़ पर लटकाई जाती हैं, वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जहां मंदिरों के स्पीकर उतार दिये जाते हैं एक संप्रदाय के तुष्टीकरण के लिए, वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जहां तमाम आपराधिक प्रवृती के लोग बड़े बड़े पदों पर आसीन हैं , वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जहा एक संप्रदाय विशेष का तुष्टीकरण अपने चरम पर है , वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जहा युवा बेरोजगारी के दिन गुजारने पर विवश है, वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जहां बच्चों के शिक्षा की कोई भी व्यवस्था नहीं है, वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जहां कुम्भ मेला के आयोजन मे करोड़ों का गोलमाल किया जाता है, वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जहां के विश्वविद्यालयों मे पठन पाठन के अलावा बाकी सारे कार्य निर्बाध रूप से हो रहे हैं, वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जहां अपराध का स्तर तमाम ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है , वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जहां तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद होने पर विवश हैं, वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जहां महिलाएं सूरज ढलने के बाद अकेले घरों से निकलने मे हिचकिचाती हैं, वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जहां सड़कों की हालत एक ही बारिश मे बद से बदतर हो जाती है, वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जहां सरकारी कार्यालयों मे बिना चढ़ावा कोई काम नहीं होता , वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जहां बिजली का जाना नहीं बिजली का आना समाचार बन जाता है , वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।
जो राज्य अंधेर नागरी और चौपट राजा का सबसे बड़ा उदाहरण है , वो उत्तर प्रदेश मूलायम को 'उत्तम प्रदेश' दिखता है।

Friday, April 25, 2014

मोदी जी के अभिवादन मे काशी मे उतरा अब तक का सबसे बड़ा जनसैलाब

जब से वाराणसी से मोदी जी के चुनाव लड़ने की घोषणा हुई थी, तब से ही प्रत्येक वाराणसी वासी को इंतजार था कि मोदी जी कब नामांकन भरने के लिए बनारस आए और जनता को उनकी एक झलक भर देखने को मिल जाए।मोदी जी को सबसे पहले काशी हिन्दू विश्वविद्यालयके सिंहद्वार स्थित महामना मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करना था और फिर मलदहिया के सरदार पटेल प्रतिमा पर माल्यार्पण कर रोड शो ले कर करीब 2 किलोमीटर चल कर मिंट हाउस स्थित स्वामी विवेकानंद मूर्ति को नमन कर के नामांकन भरने कलेक्ट्रेट जाना था। तय कार्यक्रम के मुताबिक मोदी जी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय पहुचे तो विश्वविध्यालय के छात्र छात्राओं के अलावा आस पास के क्षेत्र के तकरीबन 50 हज़ार जनमानस उनके स्वागत मे कड़ी धूप मे डटे हुये थे। मोदी जी इतना अपार जनसैलाब देख कर अभिभूत हो गए और जनमानस का झुक कर अभिवादन किया तत्पश्चात 
 मालवीय जी को पुष्प अर्पण कर वो पुनः जनता को नमन कर आगे की ओर बढ़ चले।
इसके बाद मोदी जी काशी विद्यापीठ स्थित हेलीपैड पहुचे और मलदहिया चौराहे पर स्थित सरदार पटेल की प्रतिमा का माल्यार्पण किया और यहा से उनका रोड शो शुरू हुआ। तब तक इस मलदहिया चौराहे के चहु ओर  काशी वासियों  की अपार भीड़ उमड़ चुकी थी जो सिर्फ मोदी जी की एक झलक पाने भर को लालायीत थी। मोदी जी ने भी सबका अभिवादन किया और उसके पश्चात एक खुली ट्रक मे सवार हो कर अपना नामांकन रोड शो प्रारम्भ किया। रोड शो जहां से भी गुजरता दोनों ओर की छतों पर मौजूद जनता की एक ही ख़्वाहिश थी की मोदी जी एक बार उनकी तरफ देखे और वो अपने कैमेरो मे उनकी फोटो क़ैद कर लें।और यहा ये बताना नितांत आवश्यक होगा कि मोदी जी ने किसी को निराश भी नहीं किया। उन्होने सबका अभिवादन किया और छतों से उन पर लगातार पुष्प वर्षा होती रही। ये सिलसिला तकरीबन 1 घंटे 45 मिनट्स तक चला और मोदी जी मिंट हाउस स्थित स्वामी विवेकानंद की मूर्ति को नमन करने के पश्चात अपना नामांकन भरने कलेक्ट्रेट की ओर चल दिये। पीछे रह गया तो उस अपार जनसैलाब के मन मे मोदी जी के प्रति प्रेम और अटूट विश्वास। किसी ने ये कहा की "वाह रे मोदी जी, मान गयीली गुरु " तो किसी का कहना था "मोदी जी तू त पूरा काशिए पलट भयीला"।
मोदी जी ने बनारसियों का दिल जीत लिया और बनारसियों ने मोदी जी का दिल भी जीत लिया। इस अपार जन समुद्र मे विरोधियों द्वारा बाहर से लाये गए लोगो का हवाला दिया जा रहा है लेकिन उनकी संख्या 10-15 हज़ार से ज्यादा नहीं होगी। जो भी आया स्वेक्छा से आया और मोदी जी के प्रति उसका विश्वास ही उसे खींच लाया। इस अपार जन समर्थन ने मोदी जी की जीत तो निश्चित कर ही दी है, अब तो बस जीत का अंतर ही जानना बाकी रह गया है। भीड़ मे किसी ने कहा "गुरु , ई त अबहिन झांकी बा, 12 मई त बाकी बा"। मेरे मुंह से भी इस विराट जन समर्थन को देखने के बाद अनायास ही निकल गया -"सुबह बनारस-शाम बनारस, मोदी तेरे नाम बनारस।"


Sunday, March 16, 2014

अंधभक्त मफ़लरवादी से वार्तालाप :- एक अविस्मरणीय बातचीत

मफ़लरवाद के जनक मफ़लरमैन  
आते जाते,चलते फिरते, इंटरनेट पर या सड़क पर या फिर कॉलेज के कैंटीन मे आप भी कभी न कभी किसी मफ़लरवादी अंध भक्त से मिले होंगे। ये बिलकुल अपने नाम के अनुरूप ही मफ़लरमैन केजरीवाल के अंध भक्त हैं। अगर आपने इनसे कभी भी वार्तालाप की तो ये सबसे पहले तो खुद को ईमानदार और सारी दुनिया को बेईमान, भ्रष्टाचारी घोषित कर देंगे।अगर आपने इनके हाँ मे हाँ मिला कर ये नहीं कहा की जी हाँ आप के मफ़लरमैन केजरीवाल जी और उनके पार्टी के लोग ही देश मे ईमानदार बचे हैं तो ये आपको भी तपाक से भ्रष्टाचारी और बेईमान घोषित कर देगा। विश्वास मानिए ऐसे मफ़लरवादी अंधभक्त सामान्य इन्सानों के तरह ही देखते हैं , इनके सिंग या पूछ नहीं निकले रहते। ये सामान्य इन्सानो की तरह भीड़ मे खोये रहते हैं , लेकिन जब ये भीड़ से निकल कर  आपसे बात करना शुरू करते हैं तो आपको समझ मे आ जाता है कि ये जब भी मुंह खोलेंगे तो उसमे से सिर्फ और सिर्फ अपशिष्ट ही निकालेंगे। ऐसे ही मफ़लरवादी अंधभक्त से मेरा भी पाला पड़ते रहता है और मैंने सोचा की क्यू ना आज एक ऐसे ही मफ़लरवादी से हुये बातचीत की अंश के ऊपर ही ब्लॉग लिख दिया जाये। आप इस सम्पूर्ण वार्तालाप को पढ़ने के बाद सोचेंगे की क्यू मैंने इस लिंक पर क्लिक किया, लेकिन विश्वास मानिए आप एक बार इसको पूरा पढ़ लेने के बाद आप समझ जाएंगे की एक मफ़लरवादी अंध भक्त किस प्रकार की अंध भक्ति की उल जुलूल बाते करता होगा।

मैं - मित्र , क्या नाम है आपका ?
मफ़लरवादी  -  मैं आम आदमी हु।

मैं - आम आदमी , सच मे ये आपका नाम है ?
मफ़लरवादी - नहीं मैं एक आम आदमी हूँ , असली वाला आम आदमी।

मैं - असली वाला आम आदमी ?
मफ़लरवादी - अबे चु**ये , भों**ड़ी के , मैं आम आदमी पार्टी के संस्थापक केजरीवाल सर का समर्थक हु। वो देश के एकलौते ईमानदार इंसान हैं। इस देश मे सिर्फ वो ही सच्चे हैं, बाकी सब बेईमान हैं। वो युगपुरुष हैं। वो देश के प्रधानमंत्री बनेंगे और देश मे सिर्फ झाड़ू चलेगी। रात भर मे भ्रष्टाचार खतम हो जाएगा।

मैं - अच्छा अच्छा आप अरविंद केजरीवाल की बात कर रहे हैं ?
मफ़लरवादी - हाँ अब तुमने सही समझा , बोलो युगपुरुष केजरीवाल की जय । देश के एकलौते ईमानदार केजरीवाल जी की जय।

मैं - लेकिन मैं केजरीवाल को पसंद नहीं करता। मुझे उनमे विश्वास नहीं है। 
मफ़लरवादी - साले माधर**द , बहन के लौ*** ।

मैं- अरे रे रे , भाई आराम से । क्यू बात बात पर फैल रहा है। ऐसा क्या कर दिया केजरीवाल ने की मैं उसका जय जय करू।
मफ़लरवादी - वो ईमानदार हैं । बाकी भाजपा वाले और मोदी सब चोर हैं।

मैं - अरे पहले ये तो बता ऐसा क्या कर दिया केजरीवाल ने ?
मफ़लरवादी - उन्होने लोगो के भ्रस्टाचार का खुलासा किया , उन्होने कहा देश मे भ्रष्टाचार फैला हुआ है।  उन्होने दिल्ली से रात भर मे भ्रष्टाचार खत्म कर दिया । ट्रांसपरेंसी इंटेरनसनल ने भी कहा था की दिल्ली मे भ्रष्टाचार खत्म हो गया।

मैं -अरे भाई ये तो केजरीवाल ने कहा था लेकिन ट्रांसपरेंसी इंटरनेसनल ने इस बात को गलत बताया था।
मफ़लरवादी - वो भी झूठे हैं। केजरीवाल सर ही सच्चे हैं। उन्होने देश से भ्रष्टाचार का खुलासा कर के बहुत बड़ा योगदान किया है।

 मैं- अच्छा तो इसमे उनका कौन सा बड़ा योगदान है ?और उन्होने कैसे भ्रष्टाचार का खुलासा किया ? भ्रष्टाचार को हटाने के लिए उन्होने क्या किया?
मफ़लरवादी - वो ईमानदार हैं। अगर वो चाहते तो आईआरएस रहते हुये करोड़ों कमा लेते। लेकिन उन्होने ऐसा नहीं किया

 मैं - अरे वो तो उन्होने इस्तीफा दे दिया ना? अच्छा ये बता आईआरएस रहते हुये उन्होने कितनाकाला धन पकड़ा देश के राजस्व के लिए ?
मफ़लरवादी- अजीब हाल है। उन्होने एक भी पैसा नहीं कमाया । ये कम है क्या। उन्होने भ्रष्टाचार नहीं किया। 


मैं- अच्छा मान गया की नहीं कमाया होगा काला धन , लेकिन देश के लिए क्या किया ? कितने भ्रष्टाचारियो को पकड़ा ? कितना काला धन पकड़ा ?
मफ़लरवादी - साले भों***वा*** तू भाजपा का एजेंट है, तू मोदी का चमचा है । तुम सब साले चोर हो। सब भ्रष्टाचारी हैं। तुम्हारा भी पर्दा फ़ाश कर दूंगा।

मैं -  ठीक है भाई , जब मन कर लियो पर्दा फ़ाश मेरा। लेकिन बता तो किया क्या तेरे केजरीवाल साहब ने? उसने तो उलटे उसी कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली मे सरकार बना ली ?
मफ़लरवादी - केजरीवाल सर ने जनता से पूछ कर सरकार बनाई थी, जनता ने कहा सरकार बनाने को इसलिए बनाई थी। और हमने काम कर के दिखाया है।

मैं - अच्छा फिर इस्तीफा देनेसे पहले क्यू नहीं पूछा वापस से जनता से? और काम क्या किया ये भी तो बताओ।
मफ़लरवादी - ये भाजपा, कांग्रेस वाले मिले हुये हैं।  अब केजरीवाल सर प्रधानमंत्री बनेंगे फिर सारे भ्रष्टाचारियों को जेल मे भेज देंगे। 

 मैं - लेकिन सरकार तो कांग्रेस के साथ मिल कर आपके केजरीवाल सर ने बनाई थी ना , फिर भाजपा कैसे मिल गई उससे ?
मफ़लरवादी - साले माध**चो** तू मोदी का एजेंट है।केजरीवाल सर ने जितना काम दिल्ली के लिए किया उतना काम पिछले 65 साल मे देश मे किसी सरकार ना नहीं किया? नेन्द्र मोदी हत्यारा है ? उसने गुजरात मे दंगे कराये ?

 मैं -  पहले ये बता ना भाई की क्या काम किया है केजरीवाल सर ने ? नरेंद्र मोदी के बारे मे भी उसके बाद बात कर लेंगे ?
मफ़लरवादी - केजरीवाल सर देश मे स्वराज लाएँगे , ये लो स्वराज की किताब की लिंक । http:// ......

मैं- भाई पढ़ कर समय बर्बाद कर चुका हूँ। कुछ है ही नहीं इस मे। 
मफ़लरवादी - केजरीवाल सर ने कहा है वो स्वराज लाएँगे । ये लो एक और लिंक । http:// .......  और लिंक http:// ...... http:// ...  http:// ......

मैं- भाई ये फालतू के वाहियात लिंक मत दे। हजारों लिंक मैं  दे दूंगा । कुछ तर्कसंगत बात कर। कुछ लॉजिक दे।
मफ़लरवादी- नरेंद्र मोदी ने दंगे कराये , मीडिया मिला हुआ है। तू भी नरेंद्र मोदी से मिला हुआ है । केजरीवाल सर को प्रधानमंत्री बन जाने दो सब को जेल भेज देंगे ।

मैं- लेकिन उच्चतम न्यायालय ने तो नरेंद्र मोदी को दोषी नहीं माना। उनके ऊपर कोई भी इल्जाम साबित नहीं हुआ है। 
मफ़लरवादी- न्यायालय भी बिका हुआ है। अंबानी अदानी ने सबको खरीद लिया है। सब भ्रष्टाचारी हैं। सब चोर हैं। सिर्फ केजरीवाल सर ही ईमानदार है।वो यूगपुरुष हैं। ये लो लिंक नट्टू ने उन्हे युगपुरुष कहा है।http://...... कल्लू के भाई के साले के लड़के ने उन्हे देश मे अकेला ईमानदार बताया है ये लो एक और लिंक http ://....... ये देखो पाकिस्तान वाले भी चाहते हैं की केजरीवाल भारत का प्रधान मंत्री बने http://.........

मैं- भाई स्पैम न फैला। तू मीडिया के बारे मे बात करा रहा था की मीडिया मिला हुआ है । किससे मिला हुआ है मीडिया ? वैसे एक विडियो तो तुम्हारे केजरीवाल सर का वो 'पाप' प्रसुन के साथ भी आया है मार्केट मे ।लिंक दु क्या अब मैं तुझे ?
मफ़लरवादी - ये सब भाजपा वालों की आईटी टीम ने बनाया है । उसके फ्रेम के 43वे सेकंड मे लीप सिंक नहीं है। 26वे सेकंड मे आवाज़ साफ नहीं है। मिक्सिंग की गई है। 

मैं - अच्छा भाजपा वालों ने ही बनाया है  इसका  क्या सबूत है, कांग्रेस ने नहीं बनाया ?
मफ़लरवादी- साले मैं जानता था तू नरेंद्र मोदी का समर्थक है मा**र**द  , कुत्ते , तू भी हत्यारा है। तूने भी दंगे कराये हैं।

मैं - मैंने दंगे कराये हैं ? क्या सबूत है तेरे पास ?
मफ़लरवादी - मैं ईमानदार हु। मुझे किसी सबूत की ज़रूरत नहीं है। ये लो एक और लिंक http:// ........

मैं- और तेरे केजरीवाल सर ने क्या किया ये तो बता दे भाई ? तू तो कुछ बता नहीं रहा इस बारे मे ?
मफ़लरवादी - गुजरात मे कोई विकास नहीं हुआ है ये लो देखो केजरीवाल सर ने वहाँ  पर एक टूटा फूटा स्वास्थ्य केंद्र का खुलासा किया है । कोई विकास नहीं हुआ है।वहाँ पर तो अस्पताल भी नहीं है। गुजरात मे हजारो लोग बिना इलाज के मर रहे हैं।  ये लो लिंक http://.....

मैं- ये आधी फोटो है। पूरी फोटो ये देखो और बगल मे जो नोटिस लगा है की नया स्वास्थ्य केंद्र नई बिल्डिंग मे शिफ्ट हुआ है उसका भी फोटो देखो।
मफ़लरवादी- नहीं युगपुरुष साहब ने फोटो दिखाई है। वो ईमानदार हैं। वो सच्चे हैं। बाकी सब भ्रष्टाचारी हैं। ये लो वहाँ की एक और फोटो देखो वहाँ पर की बस्तियों का क्या हाल है। http://.......

मैं - लेकिन ये फोटो तो केन्या की है। केजरीवाल साहब का बताओ न उन्होने क्या किया ? और ये फर्जी फोटो क्यू दिखा रहे हो ? कुछ सच्चा दिखा सकते हो तो दिखाओ। 
मफ़लरवादी -  ये सब सच है क्यूंकी केजरीवाल सर ने ये कहा हैऔर उनकी बात को झूठ कोई नहीं बोल सकता। वो ईमानदार हैं बाकी सब भ्रष्टाचारी हैं। 

मैं- भाई लेकिन कुछ सबूत तो दो।
मफ़लरवादी -  नहीं केजरीवाल सर जो कहते हैं वो सब सच ही होता है क्यूंकी वो झूठ नहीं बोलते हैं। वो ईमानदार हैं। इसलिए किसी सबूत की ज़रूरत नहीं है। हम देश मे जनलोकपाल लाएँगे और सब को जेल भेज देंगे।

मैं- लेकिन लोकपाल कानून तो पास हो गया न।
मफ़लरवादी- वो नकली कानून है , असली वाला जनलोकपाल केजरीवाल सर के पास है।वो सिर्फ वो ही पास कराएंगे । 

मैं- अच्छा क्या क्या है उस कानून मे ? और अन्ना हज़ारे ,किरण बेदी सब ने तो कहा था की सरकार ने जो लोकपाल पास करा वो देश मे भ्रष्टाचार मिटाने के लिए अच्छा कानून  है।  
मफ़लरवादी- वो सब बिक गए हैं भाजपा और मोदी के हाथों। वो मोदी के हाथ के कठपुतली  बन गए हैं।सिर्फ केजरीवाल सर इकलौते सच्चे हैं, बाकी सब झूठे हैं। सब बिके हुये हैं। अदानी अंबानी भाजपा को जेब मे रखते हैं।
 
मैं- सही कह रहा है यार तू। तू चालू रख अंध भक्ति । मेरे से अब न हो पाएगा।अगर और कुछ देर तेरे से बात कर ली तो शायद अपना सिर फोड़ लूँगा।
मफ़लरवादी- देखा तूम भी मान गए न केजरीवाल सर अकेले ईमानदार हैं, बाकी सब चोर हैं । सब भ्रष्टाचारी हैं। केजरीवाल सर प्रधानमंत्री बनेंगे तो मीडिया,भाजपा, नरेंद्र मोदी सबको जेल भेज देंगे।

मैं - बेहोश ......

इतना सब कुछ पढ़ लेने के बाद आपको मफ़लरवादियों की अंधभक्ति का अंदाज़ा लग गया होगा। ये दिखते आम इन्सानों की तरह ही हैं। लेकिन उल्लू से भी नीचे अगर कोई प्रजाति होगी तो उसी से मिलते जुलते प्रजाति के हैं। ये आम इन्सानों के बीच मे ही घुले मिले रहते हैं लेकिन जब अंध भक्ति की बाते शुरू करते हैं  तब आपको समझ मे आता है की ये असल मे केजरीवाल के मफ़लरवाद से ग्रसित उसके अंधभक्त हैं। ये बीमारी नए उम्र से ले कर प्रौढ़ तक सभी उम्र के लोगो मे फैल चुकी है।मैं तो ऐसे भक्तो से बच कर रहता हूँ आप भी इनसे बच कर रहे।

Saturday, March 15, 2014

हिटलर के जूते पहन कर आगे बढ़ते केजरीवाल

मैं हमेशा से इस बात का पक्षधर रहा हूँ कि और हमेशा से ये कहा है कि केजरीवाल ने देश कि राजनीति मे अपने कदम जमाने के लिए ठीक वैसे ही रणनीति बनाई है, जैसा कभी जर्मनी मे हिटलर ने प्रथम विश्व युद्ध के बाद बनाई थी। हिटलर ने अपनी राजनीति कि शुरुआत जर्मनी के सभी राजनीतिज्ञो को भ्रष्टाचारी और चोर बता कर करी थी। ये काम आज के भारत मे अरविंद केजरीवाल कर रहा है। जिस तरह हिटलर ने स्वयं को मसीहा और अपने सभी विरोधियो को भ्रष्टाचारी बता कर देश की सत्ता पर कायम होने कि नीव रखी थी, केजरी भी उसी कोशिश मे है। सभी विरोधियो को भ्रष्टाचारी बता कर और एक पूरी पीढ़ी का ब्रेनवाश कर के केजरीवाल भी देश की सत्ता पर काबिज हो जाना चाहता है।
केजरीवाल के सार्वजनिक व्यवहार मे एक तानाशाह कि छवि साफ देखी जा सकती है। अभी 2 दिन पहले नागपुर के एक कार्यक्रम मे केजरीवाल ने देश मे मीडिया को अप्रत्यक्ष रूप से धमकी ही दे डाली कि अगर मीडिया ने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के बारे मे सकारात्मक खबरे दिखाने के अलावा कुछ भी नकारात्मक दिखाया तो ये प्रधानमंत्री बन जाने के बाद मीडिया के पत्रकारों को जेल की सलाखों मे डाल देंगे। मतलब साफ है केजरीवाल मीडिया को साफ तौर पर बता देना चाहते हैं कि चाहे जो भी हो जाए इनके और इनकी पार्टी के बारे मे मीडिया पर सिर्फ महिमामंडन ही किया जाए अन्यथा इसका फल भुगतने को राज़ी रहे।
अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार - भ्रष्टाचार की रट लगा कर देश की युवा पीढ़ी का पूरा ब्रेन वॉश कर दिया है और इसी युवा पीढ़ी के बल पर केजरीवाल आने वाले समय मे देश की सत्ता को हथिया कर देश मे तानाशह बन जाना चाहते हैं। देश मे आज भ्रष्टाचार की समस्या ज़रूर है परंतु अरविंद स्वयं भी उस भ्रष्टाचार से दूर नहीं हैं। इनके जीवन का हर पहलू स्वयं भ्रष्टाचार का ज्वलंत उदाहरण है। लेकिन आज हिटलर रूपी ये केजरी युवा पीढ़ी को सिर्फ भ्रष्टाचार का राग बाँच कर बरगला कर उनका ब्रेन वाश कर रहा है। अगर एक पीढ़ी ही बर्बाद हो गई तो भविष्य मे भारत की स्थिति बद से बदतर होती जाएगी।
अपनी महत्वाकांक्षा के लिए हिटलर ने पूरे विश्व को युद्ध के आग मे धकेल दिया था और  केजरीवाल की महत्वाकांक्षा भी संपूर्ण भारत को जलाने के लिए काफी है। पिछले महीनो मे उनका व्यवहार इस बात का प्रमाण है की ये अपने अराजकतावादी साथियो और समर्थकों के साथ देश को अराजकता की आग मे झोंक देना चाहते हैं। युवा पीढ़ी जो भेड़ चाल मे इस हिटलर रूपी केजरीवाल के पीछे अंध भक्तों की तरह भाग रहा है, उनसे विनम्र निवेदन है की इस बहरूपिये के जाल मे न फंसे और इसकी चाल को समझें।
ये एक तयशुदा रणनीति के तहत किसी पर भी कोई भी इल्जाम लगा देता है जिसका इसके पास कोई सबूत नहीं होता और फिर अगर इससे कोई सवाल पूछा जाए तो वो उसका जवाब नहीं देना चाहता। हिटलर रूपी केजरीवाल की चाहत है कि इस देश मे सभी व्यवस्थाओं को झूठा , भ्रष्टाचारी बता कर उनके ऊपर अपना कब्जा जमा लिया जाए और फिर जिस तरह हिटलर ने सत्ता मे आने के बाद अपनी गेस्टापों के सीक्रेट पुलिस की सहायता से अपने सभी विरोधियो का दमन किया था,ऐसी ही इसकी भी चाहत है। केजरीवाल भी अपने विरोधियो का जबरन दमन कर आगे बढ़ जाना चाहता है। जिस तरह हिटलर का अहंकार उसके सर चढ़ कर बोलता था, उसी तरह इस कलयुगी भारतीय हिटलर केजरीवाल का अहंकार भी उसके सर चढ़ कर बोल रहा है। आने वाले चुनावों मे इस अहंकारी व्यक्ति को करारा जवाब दे कर इसके मंसूबों को तोड़ना अत्यंत ही ज़रूरी है। 

Sunday, February 16, 2014

एएपी और केजरीवाल की असफल सत्ता का अंत

अंततः दिल्ली के सियासी माहौल मे चल रहा केजरीवाल का ड्रामा उनके इस्तीफे के साथ समाप्त हो ही गया। उन्होने इस्तीफा देने के साथ भाजपा और कांग्रेस पर मुकेश अंबानी के इशारे पर उनकी सरकार को गिराने का षड्यंत्र करने का इल्जाम भी लगा दिया। वैसे जहा तक ज्ञात है कांग्रेस ने तो श्री केजरीवाल जी सेसमर्थन वापस लिया नहीं था, उन्होने खुद से ही अपनी किसी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए और अपने मुख्यमंत्रित्व काल के असफलताओ को छिपाने के लिए इस्तीफा दिया है। वैसे यहा पर ये जान लेना आवश्यक है की दिल्ली अन्य राज्यों की तरह एक पूर्ण राज्य नहीं है और यहा पर कई विधेयकों को विधानसभा मे प्रस्तुत करने से पूर्व उपराज्यपाल से अनुमति लेना आवश्यक है, और केजरीवाल सरकार का जन लोकपाल विधेयक उनही मे से एक है। उपराज्यपाल ने विधानसभा के स्पीकर को चिट्ठी लिख कर इस विधेयक को पेश न करने की सलाह दी थी और जिन्हे विधायी कार्यप्रणाली की जानकारी होगी वो ये जानते हैं की उपराज्यपाल की चिट्ठी एक आदेश की तरह होती है। श्री केजरीवाल जी सदन मे संविधान की प्रति दिखा कर ये दावा कर रहे थे कि संविधान मे ऐसा कही नहीं लिखा है, तो मैं ये कहना चाहूँगा कि सिर्फ आप ही संविधान के एकलौते समझदार नहीं हैं। संविधान ने अपनी व्याख्या का अधिकार उच्चतम न्यायालय को दे रखा है और उच्चतम न्यायालय का फैसला अंतिम और बाध्य होता है। सिर्फ संविधान के अनुच्छेद पढ़ लेने मात्र से आप उसके जानकार नहीं बन जाते वरन आपको उसके साथ विभिन्न न्यायिक फैसलों को भी पढना होगा, तब जाके आप उन अनुच्छेद के प्रावधानों को समझ पाएंगे। विधानसभाओ और संसद मे कार्य करने की एक प्रणाली और व्यवस्था बनी हुई है, कोई भी उन प्रावधानों से ऊपर जाकर अपनी मंकर्जी से काम नहीं कर सकता। लेकिन केजरीवाल और उनके अंध भक्तो ने उनको संविधान के एकलौते जानकार की उपाधि देने मे तनिक देर नहीं लगाई ठीक वैसे ही जैसे उन्हे देश का इकलौता ईमानदार घोषित कर रखा है।
श्री केजरीवाल ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इस क्षेत्र मे कुछ करने से पूर्व राजस्व सेवा की ओर भागे, वहाँ पर भी योगदान नगण्य रहा और कुछ ही दिनो मे अपना एनजीओ खोल कर उसके कार्य मे भाग गए, कुछ दिनो बाद वहाँ से भी भागे और अन्ना के साथ आंदोलन करने लगे, आंदोलन पूरा भी नहीं हुआ था कि अन्ना का साथ छोड़ कर भागे और राजनीति मे आ गए।सफलता भी मिली और दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए लेकिन 49 दिनो मे ही ये छोड़ कर भी भाग गए। पूरे जीवनकाल को देखा जाए तो केजरीवाल जी पहले दर्जे के भगोड़े हैं। तथ्यों से बात साफ प्रतीत होती है। अगर आप इनके अंधभक्तों से बात करेंगे तो वो ऐसे बात करेंगे जैसे इनहोने दिल्ली मे पता नहीं कितना काम कर दिया है, परंतु सच्चाई ये है कि अपने पूरे मुख्यमंत्रित्व काल मे इनहोने और इनकी मंत्रिमंडल ने झूठी दिलसाओ के अलावा कुछ नहीं किया। जो इनके अधिकार क्षेत्र के मुद्दे  थी उन पर काम करने के बजाए संघीय क्षेत्रो के मुद्दों पर बहसबाजी कर के इनहोने सिर्फ समय बिताया। 49 दिनो मे काम करने के लिए एक रोडमैप तक नहीं बना पाये। लेकिन एक काम है जिसमे श्री केजरीवाल अव्वल हैं,और वो है झूठ बोलना और गाल बजाना। भाजपा नेता हर्षवर्धन जी ने बिलकुल सही कहा कि केजरीवाल जी जब तक दिन मे 4 झूठ नहीं बोलते और 10 लोगों पर भ्रष्टाचार का निराधार आरोप न लगा दे तब तक इनका खाना नहीं पचता।
केजरीवाल जी अगर चाहते तो उपराज्यपाल और केंद्र से बात कर के लोकपाल विधेयक को पास कराने मे आ रही कानूनी अडचनों को दूर कर के इसे विधानसभा मे पेश कर सकते थे लेकिन इनकी जल्दी देख कर लगता है की ये लोकपाल से ज्यादा लोकसभा के प्रति वफादार हैं। इन्हे दिल्ली के लोगो की समस्याओं को हल करने  से ज्यादा लोकसभा मे पहुचने की जल्दी है।लेकिन इतिहास गवाह है की अति महत्वाकांक्षा किसी भी देश और उसकी जनता के लिए कभी लाभदायक नहीं रही है, चाहे वो मत्वाकांक्षा हिटलर की हो, या गद्दाफ़ी की। देश की जनता के सामने इनका पोल खुल चुका है और आने वाले लोकसभा चुनाव मे जनता इनके ढोंग का उत्तर ज़रूर देगी।


Saturday, February 8, 2014

भ्रष्टाचार और अरविंद केजरीवाल

पिछले कुछ सालों से भारतवर्ष मे स्वयं स्थापित एकलौते सच्चे व्यक्ति श्री अरविंद केजरीवाल ने स्वयं और अपनी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओ के अलावा अन्य सभी लोगो को झूठा , भ्रष्टाचारी और बेईमान घोषित कर रखा है। जो भी व्यक्ति इनके बातों से सहमत वो ईमानदार अन्यथा उसे बेईमान घोषित कर दिया जाता है। भ्रष्टाचार की परिभाषा इनके स्वयं के द्वारा स्थापित की गई है और समय समय पर अपनी ज़रूरत के हिसाब से उसमे आवश्यक परिवर्तन के द्वारा भ्रष्टाचार की परिभाषा बदल दी जाती है। फलसफा ये कि ईमानदारी का प्रमाणपत्र देने की संस्था स्वयंभू ईमानदार श्री अरविंद केजरीवाल ही हैं। जो इनसे तकल्लुफ रखे उसे ही ये ईमानदार घोषित करते हैं अन्यथा झूठा और बेईमान घोषित करने मे ज्यादा समय नहीं लगाते।
लेकिन मेरा मानना है की भ्रष्टाचार का मतलब सिर्फ रुपये पैसे का भ्रष्टाचार ही नहीं , वरन चरित्र का, जिम्मेदारियों का और व्यवहार का गलत आचरण भी भ्रष्टाचार की परिधि मे आता है। श्री केजरीवाल ने खुद को और अपनी पार्टी नेताओ को तथा इनसे जुड़े लोगो को ईमानदार किन तथ्यों के आधार पर घोषित कर रखा है ये सिर्फ इन्हे ही पता है। श्री केजरीवाल वो पारस पत्थर हैं जिनके संसर्ग मे आते ही भ्रस्टाचार रूपी कोयला भी ईमानदारी रूपी सोना मे बदल जाता है।
कुछ आवश्यक बाते हैं जिनकी तरफ मैं ध्यान आकर्षित करना चाहता हु। श्री केजरीवाल और इनकी पत्नी अपने राजस्व सेवा के कार्यकाल मे शायद ही कभी दिल्ली के कार्य क्षेत्र से बाहर रहे हैं। क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है? श्री केजरीवाल के समर्थक कहते हैं इन्होने राजस्व सेवा मे रहते हुये कभी काला धन नहीं कमाया, अगर चाहते तो करोड़ो कमा लेते। चलो मान लेते हैं , परंतु इनहोने कितने नेताओ और व्यापारियों के काले धन को जब्त किया? अगर कुछ कमाया नहीं तो देश के राजस्व मे कुछ योगदान भी नहीं दिया। क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है? अपने सरकार के विधि मंत्री के कुकृत्य का इनहोने जम कर बचाव किया और उनके कृत्यों को सही भी ठहराते रहे। क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है? श्री केजरीवाल की पत्नी सरकारी सेवा मे रहते हुये केजरीवाल जी की धरणा प्रदर्शन मे हिस्सा लेती हैं।एक सरकारी अफसर का नौकरी मे रहते हुये किसी राजनीतिक मंच को साझा करना, क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है? श्री केजरीवाल की किताब स्वराज के ऊपर अजयपाल नागर नाम के शिक्षक ने किताब का संदर्भ चुराने का इल्जाम लगाया है। क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है? परंतु श्री केजरीवाल तो स्वघोषित ईमानदार हैं, ईमानदारी की स्वघोषित परिभाषा मे ये फिट बैठते हैं। इसलिए ये जो कहे वो ही सच और बाकी सब झूठ। लेकिन ये सोचने का विषय है। अंध भक्ति मे इंसान सोचने समझने की क्षमता खो बैठता है और ये ही केजरीवाल जी के अंध भक्तों का हाल है।लेकिन उम्मीद करता हु कि आँख के ऊपर कि पट्टी हटेगी और सच्चाई देख और समझ पाएंगे केजरिभक्त।