Thursday, January 17, 2013

राहत या आफत .... क्या दिया सरकार के इस नए फैसले ने ?

आज कल युपीए सरकार ने ये तय कर लिया है कि चाहे जो भी हो जाये हम आम जनता की बजा के ही मानेंगे। अभी पिछले दिनों पेट्रोल के दामो में कुछ बढ़ोतरी की गयी थी और आज शाम सरकार ने आम जनता को फिर से दो तोहफे दिए हैं। एक तरफ डीजल के दामों का डीकंट्रोल यानि की अब इसके दामों का फैसला सरकार नहीं बल्कि तेल कम्पनियाँ स्वयं करेंगी, और दूसरी तरफ सरकार ने सब्सिडी वाले गैस सिलिंडर की संख्या में इजाफा किया है। अब 6 की बजाये 9 सिलेंडर सब्सिडी वाली मिला करेंगी। तेल कंपनिया पिछले कई दिनों से हल्ला मचा रही थी की उन्हें डीजल पर प्रति लीटर 9 रुपये का शुद्ध घटा हो रहा है, तो लो सरकार ने तेल कंपनियों को खुश कर ही दिया। अब डीजल की दामों में जल्दी ही बढ़ोतरी होगी और डीजल की दामों में बढ़ोतरी का असर रोज़मर्रा की ज़रूरत की चीज़ों के दामों में भी जल्दी ही देखने को मिलेगा।
वैसे एक साथ 9 रुपये की बढ़ोतरी का जोखिम तो तेल कम्पनियाँ तो नहीं उठाएंगी लेकिन इतना तो मान के ही चलिए की हर महीने कम से कम 1 रुपये की बढ़ोतरी का बोझ तो आपकी जेब को उठाना ही पड़ेगा। डीजल का प्रयोग कृषि के क्षेत्र में काफी होता है। चाहे खेत की जुताई करने के लिए ट्रेक्टर हो या उसके फसल की सिंचाई करने के लिए जेनसेट हो ,दोनों में ही डीजल का उपयोग किसान करता है। आने वाले दिनों में डीजल के दाम बढ़ेंगे तो इसके सीधा असर किसान की लागत पर पड़ेगा ही। माल ढूलाई , परिवहन ,बिजली उत्पादन इन सब में डीजल का ही उपयोग होता है तो इनका लागत भी बढेगा। मतलब ये कि जेब तो आम जनता की ही कटेगी और लम्बे समय तक कटते ही रहेगी। ठीक वैसे ही जैसे बढ़ी हुयी सब्सिडी वाली सिलेंडर की संख्या का फायदा जल्दी ही लोगो को मिलेगा वैसे ही बढ़ी डीजल के दाम का असर लम्बे समय तक आम जनता की जेब पर पड़ता रहेगा। सरकार ने तो ये पहले से ही सोच रखा था कि सिलिंडर की संख्या में इजाफा करेंगे और इसे लागू करने के लिए सरकार ने एक हाथ में लड्डू तो दे दिया लेकिन दुसरे हाथ में जलती अंगीठी रख दी। लड्डू तो खा के ख़तम हो जायेगा लेकिन ये अंगीठी हाथ जलाते ही रहेगी। मिला जुला के देखा जाये तो सरकार ने आम जनता को आफत ज्यादा दिया है और जनता के हाथो में राहत  के नाम पर एक झुनझुना मात्र ही थमाया है, तो ये झुनझुना थामिए और अब झुनझुना बजाते रहिये जब तक जी चाहे।



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