
बारिश के बाद सिर्फ दृश्य ही मनोरम नहीं हुआ , बल्कि मौसम में भी भीनी भीनी खुशबु और हलकी सी ठंढ का अहसास प्रतीत हुआ। ब्लॉग में प्रदर्शित दोनों फोटो को देख कर स्वयं ही आपको ये अहसास हो जायेगा की महज एक घंटे में मौसम में और वातावरण में कितना बदलाव आ गया था। धुल भरे माहौल का स्थान चमकदार माहौल ने ले लिया था।
वैसे अक्टूबर का महीना ख़त्म होने को ही है और चंद दिनों में नवम्बर का महिना आ जायेगा और मौसम भी सर्दी की चादर ओढने लगेगा ,और सर्दी का मौसम वो भी दिल्ली की सर्दी तो आप सभी जानते ही हो। उस फिल्म का गाना भी सुना होगा आप लोगो ने जिसके बोल हैं-तडपाये तरसाए रे दिल्ली की सर्दी। दिल्ली की सर्दी तो वैसे ही मशहूर है । सर्दी के दिनों में दिल्ली और उसके आस पास कुहरे का भी आप सभी को अंदाज़ा होगा ही और सिर्फ दिल्ली ही नहीं सम्पूर्ण उत्तर भारत में कड़ाके ठंडी और कुहरे का माहौल रहता है ।
वैसे सभी भारतीयों की तरह मुझे भी सर्दियों का इंतज़ार रहता है ,इसके कई कारण हैं। एक तो ये है की मुझे सर्दी की सुबहो का आलस्य बहुत ही पसंद है जब आपको कम्बल और रजाई के आगोश से निकलना अच्छा नहीं लगता और दूसरा ये की मुझे सर्दी की शामो में 'ओल्ड मोंक' का चस्का है। सर्दी की ठण्ड शामो में ओल्ड मोंक पीने में जो आनंद है वो शायद ही किसी और चीज़ में हो । तो इसी उम्मीद के साथ इस पोस्ट को समाप्त करता हु की जल्दी ही मौसम थोड़े और बदलाव लेगा और जल्द ही गुलाबी गुलाबी ठंडक की चादर वातावरण को अपने आगोश में ले लेगी।
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